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इसके बदले अमेरिका से परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां खरीदेगा.
पनडुब्बी विवाद (Submarine Deal Row) को लेकर फ्रांस (France) के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) के बीच फोन पर बात होने के बाद फ्रांस अगले सप्ताह अपने राजदूत को वाशिंगटन वापस भेजेगा.
व्हाइट हाउस और फ्रांस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास 'द एलिसी' ने संयुक्त रूप से बुधवार को बयान जारी करके यह जानकारी दी. बयान में कहा गया कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने आपसी भरोसा सुनिश्चित करने की स्थिति का निर्माण करने के वास्ते गहराई में जाकर विमर्श करने की प्रक्रिया खोलने का निर्णय लिया है. बयान के अनुसार, अक्टूबर अंत में मैक्रों और बाइडन की यूरोप में मुलाकात होगी.
मैक्रों के ऑफिस ने जारी किया बयान
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पनडुब्बी विवाद का हल करने के लिए बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से स्पष्टीकरण और स्पष्ट वादों की उम्मीद कर रहे हैं. मैक्रों के कार्यालय ने यह जानकारी दी. मैक्रों पनडुब्बी विवाद का हल करने के लिए बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से स्पष्टीकरण और स्पष्टवादों की उम्मीद कर रहे हैं. मैक्रों के कार्यालय ने यह जानकारी दी.
मैक्रों के कार्यालय ने बताया कि बाइडन ने पिछले हफ्ते अमेरिका से फ्रांसीसी राजदूत को वापस बुलाने की अभूतपूर्व घटना के चलते विश्वास में आई कमी पर चर्चा करने के लिए एक फोन कॉल का अनुरोध किया है. बयान में कहा गया है, 'मैक्रों हिंद-प्रशांत सहयोग पर एक करार से एक यूरोपीय सहयोगी (फ्रांस) को दूर रखने के अमेरिका के फैसले पर स्पष्टीकरण की उम्मीद कर रहे हैं.'
सुरक्षा गठबंधन से नाराज है फ्रांस
अमेरिका और ब्रिटेन ने परमाणु पनडुब्बी की आपूर्ति के लिये ऑस्ट्रेलिया के साथ करार किया है, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ डीजल संचालित पनडुब्बी के करार को रद्द कर दिया है. इस पर फ्रांस ने नाराजगी जतायी है और उसे यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों का साथ मिला है.
नाटो महासचिव ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने किसी का पक्ष नहीं लिया बल्कि उन्होंने गठबंधन के प्रमुख लक्ष्यों के बारे में एकजुटता बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'मैं फ्रांस की नाराजगी अच्छी तरह समझता हूं. नाटो सदस्यों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मामलों पर सहमत होना चाहिये. इसके जरिये हम साझा चुनौतियों से मिलकर निपट सकेंगे.'
पिछले दिनों अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने नए सुरक्षा गठबंधन (AUKUS) का ऐलान किया है. इस गठबंधन के बाद ऑस्ट्रेलिया परमाणु ताकत से लैस पनडुब्बियां (Nuclear-Powered Submarines) से लैस हो सकेगा. गठबंधन से हिंद-प्रशांत और दूसरे क्षेत्रों में संबंधों को नया रूप मिलेगा. इस फैसले से चीन खासा नाराज हो गया है. उसने कहा है कि वह समझौते पर करीबी नजर बनाकर रखेगा. वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और बाकी देशों के लिए इस समझौते के अलग-अलग मायने हैं.
अब ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका से खरीदेगा पनडुब्बियां
फ्रांसीसी राजनयिकों के मुताबिक अमेरिका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच हिंद-प्रशांत रक्षा करार की पिछले हफ्ते बाइडन ने घोषणा की थी तथा फ्रांस को इसबारे में कुछ घंटे पहले औपचारिक तौर पर सूचना दी गई थी. इस करार के चलते आस्ट्रेलिया डीजल-इलेक्ट्रिक फ्रांसीसी पनडुब्बियां खरीदने के अरबों डॉलर के अनुबंध को रद्द कर देगा और इसके बदले अमेरिका से परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां खरीदेगा.
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