तीन दिवसीय तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर गए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अश्गाबात में कहा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष को लेकर अन्य देशों की अपेक्षा भारत का रूख दृढ़ और सुसंगत रहा है। प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में शनिवार को युवा छात्रों के साथ बातचीत करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत यूक्रेन में बिगड़ती मानवीय स्थिति को लेकर काफी चिंतित है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष पर भारत का रूख दृढ़ और सुसंगत रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमने इस बात पर जोर दिया है कि वर्तमान वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय अखंडता और राज्यों की संप्रभुता के सम्मान में निहित है।
गौरतलब है कि कई अन्य प्रमुख शक्तियों के विपरीत भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है। उसने रूसी आक्रमण की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर वोटों से परहेज किया है। भारत कूटनीति और बातचीत के जरिए संकट के समाधान के लिए दबाव बनाता रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हम बिगड़ती मानवीय स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। हमने हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। कोविंद ने कहा कि हमने यूक्रेन को मानवीय सहायता भी प्रदान की है।
वहीं पिछले महीने, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा था कि यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति दृढ़ और सुसंगत रही है और वह हिंसा को तत्काल समाप्त करने की मांग कर रहा है। साथ ही शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से कहा था कि भारत यूक्रेन में संघर्ष को हल करने के लिए शांति प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान देने के लिए तैयार है। उन्होंने यूक्रेन में हिंसा को जल्द से जल्द समाप्त करने का आह्वान किया था।
बता दें कि रूस भारत का सैन्य हार्डवेयर का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है और नई दिल्ली यूक्रेन संघर्ष के कारण कुछ प्रमुख प्लेटफार्मों और उपकरणों की आपूर्ति में संभावित देरी से चिंतित है। भारत ने रूस से रियायती कच्चे तेल की खरीद का भी फैसला किया है, जिससे कई पश्चिमी शक्तियों में चिंता बढ़ गई है।
इसे लेकर व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने लगभग दो सप्ताह पहले कहा था कि भारत द्वारा रियायती कच्चे तेल की रूसी पेशकश को स्वीकार करना मास्को पर अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा, लेकिन उन्होंने भारत को रेखांकित करते हुए जोर देते हुए कहा कि देशों को यह भी सोचना चाहिए कि रूस पर 'आप कहां खड़े होना चाहते हैं।'
गौरतलब है कि रूसी हमलों से बचने के लिए 25 लाख से अधिक लोगों के यूक्रेन से भाग जाने का अनुमान है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे तेजी से बढ़ते शरणार्थी संकट कहा है।
राष्ट्रपति कोविंद ने अफगानिस्तान को लेकर जताई चिंता
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि भारत और तुर्कमेनिस्तान शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान का मजबूती से समर्थन करते हैं तथा युद्ध की वजह से तबाह इस देश की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता पर जोर देते हैं।
राष्ट्रपति कोविंद ने यहां स्थित प्रतिष्ठित 'इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस' के विद्यार्थियों को शनिवार को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान का पड़ोसी होने के नाते दोनों देश काबुल के घटनाक्रम को लेकर स्वाभाविक रूप से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान का मजबूती से समर्थन करते हैं और उसकी संप्रभुता, एकता तथा क्षेत्रीय अखंडता पर जोर देते हैं।