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दरअसल हेल्थ पास को लोग अपने अधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (President Emmanuel Macron) ने शनिवार को कहा कि गरीब देशों को फ्रांस की ओर से कोरोना वैक्सीन की खुराकों के खेप को दोगुना किया जाएगा। इसके तहत 120 मिलियन कोरोना वैक्सीन गरीबों को मुहैया कराई जाएगी।
#BREAKING France to double Covid-19 vaccine doses for poorer countries: Macron#coronavirus pic.twitter.com/9gMNQ1uHC9
— AFP News Agency (@AFP) September 25, 2021
ग्लोबल सिटिजन कंसर्ट में मैक्रों ने कहा, 'दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां वैक्सीनेशन अभियान काफी पीछे है। अफ्रीका की मात्र 3 फीसद आबादी को वैक्सीन लगाई गई है जिसे बढ़ाने की जरूरत है।' पिछले ही हफ्ते फ्रांस में जरूरी कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगवाने वाले हजारों हेल्थ केयर वर्करों बगैर वेतन दिए सस्पेंड कर दिया गया। देश के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरानो (Olivier Véran) ने कहा, 'स्वास्थ्य केंद्रों और क्लीनिकों के कर्मचारियों को कुल 3,000 सस्पेंशन के बारे में सूचित किया गया जिन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं ली थी।'
फ्रांस में 27 लाख हेल्थ केयर वर्कर्स के सस्पेंशन का बचाव करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरानो ने कहा कि देश के सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में देखभाल की निरंतरता, देखभाल की सुरक्षा और देखभाल की गुणवत्ता का आश्वासन दिया गया है।
फ्रांस में लागू किए गए नियम के अनुसार, हेल्थ केयर कर्मचारियों को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लेने के लिए 15 सितंबर को अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी। साथ ही केंद्रों और अस्पतालों में काम करने के लिए उन्हें कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट को भी दिखाना था। हालांकि जिन्हें दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हैं या जो कोरोना संक्रमण से ठीक हुए हैं उन्हें इसकी जरूरत नहीं है। साथ ही आगामी 16 अक्टूबर तक हेल्थ केयर वर्कर्स को पूर्ण वैक्सीनेशन का सबूत भी दिखाना है।
हाल के महीनों में फ्रांस में सरकार द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन की नीति के खिलाफ हजारों की संख्या में लोगों द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शन को देखा गया है। राष्ट्रपति मैक्रों द्वारा लाए गए हेल्थ पास का भी जमकर विरोध हुआ। दरअसल हेल्थ पास को लोग अपने अधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं।
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