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श्रीलंका (Sri Lanka) में अमेरिका (US) के राजदूत के रूप में राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) की तरफ से नामित वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक जूली चुंग ने कहा कि अमेरिका को हिंद महासागर के बीचों-बीच एवं रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित द्वीप राष्ट्र के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की आवश्यकता है
श्रीलंका (Sri Lanka) में अमेरिका (US) के राजदूत के रूप में राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) की तरफ से नामित वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक जूली चुंग ने कहा कि अमेरिका को हिंद महासागर के बीचों-बीच एवं रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित द्वीप राष्ट्र के साथ रचनात्मक संबंध बनाने की आवश्यकता है.
विदेश सेवा अधिकारी चुंग ने 'सीनेट फॉरेन रिलेशन्स कमेटी' के सदस्यों से कहा कि श्रीलंका हिंद महासागर के बीचों-बीच एवं रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है. वैश्विक समुद्री मार्गों तथा व्यापारिक मार्गों तक पहुंच के साथ इसके महत्वपूर्ण बंदरगाह एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
श्रीलंका में काम करने वाली कंपनियों का समर्थन
चुंग ने कहा, 'यह बात श्रीलंका के नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और श्रीलंकाई लोगों समेत द्वीप राष्ट्र के साथ अमेरिका के रचनात्मक संबंध स्थापित करने की आवश्यकता को बल देती है.' उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, 'हमें श्रीलंका में व्यापार करने वाली अमेरिकी कंपनियों का भी समर्थन करना चाहिए तथा (अमेरिका के) विकास वित्त निगम एवं निर्यात-आयात बैंक के पास मौजूद उपकरणों का उपयोग करना चाहिए ताकि वे जबरन उधार देने और अपारदर्शी अनुबंधों के विकल्प प्रदान कर सकें.'
चीन, श्रीलंका की विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है, लेकिन इस निवेश की स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई है और इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया है. श्रीलंका की पूर्ववर्ती मैत्रीपाला सिरिसेना सरकार ने 1.2 अरब डॉलर के ऋण के कारण एक सरकारी चीनी कंपनी को 2017 में हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए पट्टे पर दिया था.
श्रीलंका ने पास किया है बड़ा कानून
श्रीलंका की संसद ने इस साल 20 मई को पोर्ट सिटी इकोनॉमिक कमीशन बिल पारित किया है. इस नए कानून के लागू होने से चीन की वित्तीय मदद से बने पोर्ट सिटी के इलाके को कुछ राष्ट्रीय कानूनों से छूट मिल जाएगी और यहां इसके लिए बनाए गए ख़ास प्रावधान लागू होंगे. स्थानीय मीडिया की ख़बरों में कहा गया है कि स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन में श्रीलंका के इंवेस्टमेंट बोर्ड, अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी और नगर निगम के क़ानून लागू नहीं होंगे. श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे और उनके भाई महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार को उम्मीद जताई थी कि नया कानून बेहद जरूरी विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा.
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