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मध्यपूर्व के देश यमन (Yemen) में 2015 से ही युद्ध जारी है.
मध्यपूर्व के देश यमन (Yemen) में 2015 से ही युद्ध जारी है. सऊदी अरब (Saudi Arabia) के नेतृत्व में अरब के कई मुल्क यमन में हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. अमेरिका (America) सऊदी अरब के नेतृत्व वाले देशों (Saudi Arabia's led nations) को हथियार मुहैया कराता रहा है. हालांकि, अब इस नीति में बदलाव होने जा रहा है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन (Jake Sullivan) ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) यमन में पांच साल से सऊदी नेतृत्व वाले सैन्य आक्रमण को जारी रखने के लिए अमेरिका (America) द्वारा दिए जा रहे समर्थन (Support) को खत्म (End) करेंगे. सुलिवन ने कहा कि इस युद्ध के चलते यमन अरब प्रायद्वीप (Arabian peninsula) में सबसे गरीब मुल्क बन चुका है और यहां मानवीय संकट आ खड़ा हुआ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा उठाया जाने वाला ये कदम उनके उस चुनावी वादे को पूरा करना होगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका प्रशासन यमन में समग्र संघर्ष को समाप्त करने के लिए कूटनीति को आगे बढ़ाने की योजना बनाएगा. सुलिवन ने व्हाइट हाउस (White House) में न्यूज ब्रीफिंग के दौरान कहा कि बाइडेन अमेरिका को ज्यादा सक्रिय और व्यस्त भूमिका निभाते हुए देखते हैं, ताकि बातचीत के जरिए इस युद्ध को समाप्त किया जा सके.
टिमोथी लेंडरकिंग होने यमन में अमेरिका के विशेष दूत
वहीं, जो बाइडेन टिमोथी लेंडरकिंग को यमन के लिए विशेष दूत भी बनाने वाले हैं. इस मामले से परिचित एक व्यक्ति ने लेंडरकिंग की नियुक्ति की पुष्टि की है. नाम ना छापने की शर्त पर उसने बताया कि टिमोथी लेंडरकिंग को यमन में विशेष दूत के तौर पर नियुक्त किया जाएगा. लेंडरकिंग मिडिल ईस्ट सेक्शन के लिए विदेश विभाग की एजेंसी के डिप्टी असिसिटेंट रह चुके हैं. एक विदेशी राजदूत के तौर पर उन्होंने सऊदी अरब, कुवैत और मध्यपूर्व के अन्य देशों में अपनी सेवाएं दी हैं.
सऊदी अरब को समर्थन देना गलत निर्णय था: अमेरिकी अधिकारी
सऊदी अरब ने साल 2015 में यमनी हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग की शुरुआत की थी. हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना समेत कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया और वो सीमा पार सऊदी अरब पर मिसाइल हमले करते रहे हैं. सऊदी के नेतृत्व में किए जाने वाले हवाई हमलों में असंख्य नागरिकों की मौत हुई है. ये मौतें तब हुई हैं, जब अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि वे सऊदी को इसलिए समर्थन दे रहे हैं, ताकि यमन में नागरिकों की जान बचाई जा सके. ओबामा प्रशासन ने सऊदी के नेतृत्व को यमन के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए हरी झंडी दी थी. हालांकि, अब अमेरिकी अधिकारियों को लगता है कि ये निर्णय गलत था.
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