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विदेशों से कामगारों को भर्ती करने के लिए एंट्री वीजा देने की तैयारी, नौकरी का बंपर मौका

Neha Dani
17 April 2022 8:15 AM GMT
विदेशों से कामगारों को भर्ती करने के लिए एंट्री वीजा देने की तैयारी, नौकरी का बंपर मौका
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कुवैत की कुल आबादी में 75 फीसदी प्रवासी हैं जिसमें सबसे ज्‍यादा भारतीय हैं। इससे भारत को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा मिलती है। कुवैत के इस कदम से भारतीयों को बड़ा झटका लगा है।

कुवैत कोरोना वायरस प्रतिबंधों के चलते कामगारों के भारी संकट से जूझ रहा है। हाल ही में सरकार ने इन प्रतिबंधों में ढील दे दी है जिसके बाद अब कुवैत विदेशों से कामगारों की भर्ती करने जा रहा है। अल अंबा अखबार के हवाले से गल्फ न्यूज ने बताया कि इस दिशा में कदम उठाते हुए कुवैती संसद की आंतरिक और रक्षा समीति ने भर्ती के लिए स्वास्थ्य शर्तों का पालन करते हुए एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। एक कुवैती सांसद की ओर से पेश किया गया यह प्रस्ताव नए घरेलू कामगारों को एंट्री वीजा जारी करने की मांग करता है।

इस प्रस्ताव के पास होने के बाद भारतीयों के लिए कुवैत में काम करने का रास्ता साफ हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार इस प्रस्ताव में सांसद फर्ज अल दैहानी ने कहा कि कुवैती परिवारों को घरेलू कामगारों की बेहद जरूरत है। खासकर वे परिवार जिनमें बुजुर्ग या विकलांग सदस्य हैं जिन्हें खास देखभाल की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशों में फंसे सभी श्रमिकों को प्रवेश की अनुमति दे दी है। लिहाजा स्वास्थ्य शर्तों का पालन करते हुए नए घरेलू कामगारों के लिए एंट्री वीजा जारी करना संभव है।
कोरोना से बर्बाद हुए कुवैत के विदेशी कामगार
कुवैती संसद सांसद के प्रस्ताव पर कब बहस करेगी, इसे लेकर फिलहाल कोई तारीख स्पष्ट नहीं है। कोरोना ने कुवैत के प्रवासी कामगारों को बुरी तरह प्रभावित किया है। खबरों की मानें तो साल 2021 के पहले 9 महीने में 1,68,000 प्रवासी कामगारों को कुवैत छोड़ना पड़ा। इनमें सबसे ज्यादा भारतीय थे। कुवैत में कुल घरेलू कामगारों की संख्‍या में 9 फीसदी की गिरावट आई है।
कुवैत में सबसे ज्यादा हैं भारतीय
इसके अलावा फिलीपीन्‍स और पाकिस्‍तान के मजदूरों की संख्‍या में कमी आई है। एक तरफ विदेशी कामगार जहां कुवैत से जा रहे हैं, वहीं देश के नागरिकों की नौकरी में बढ़ोत्‍तरी हुई है। कुवैत के 17,511 लोगों को नौकरी मिली है। कुवैत की कुल आबादी में 75 फीसदी प्रवासी हैं जिसमें सबसे ज्‍यादा भारतीय हैं। इससे भारत को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा मिलती है। कुवैत के इस कदम से भारतीयों को बड़ा झटका लगा है।
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