विश्व

नेपाल में प्रचंड की पार्टी ने पीएम ओली से समर्थन लिया वापस

Kunti Dhruw
5 May 2021 6:02 PM GMT
नेपाल में प्रचंड की पार्टी ने पीएम ओली से समर्थन लिया वापस
x
नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी ने आखिरकार औपचारिक रूप से ओली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।

काठमांडू : नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी ने आखिरकार औपचारिक रूप से ओली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।जिसके बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार अब नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा में अल्पमत में आ गई है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पीएम ओली विपक्षी पार्टियों के अविश्वास प्रस्ताव से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं।

संसद सचिवालय को सौंपा समर्थन वापसी का पत्र
प्रचंड के नेतृत्व वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) वरिष्ठ नेता गणेश शाह ने ओली सरकार से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने इसे लेकर एक पत्र भी संसद सचिवालय को सौंपा है। नेपाली संसद के निचले सदन में प्रचंड के माओवादी सेंटर के मुख्य सचेतक देव गुरुंग ने संसद सचिवालय में अधिकारियों को इस बारे में पत्र सौंपा है।
देश की संप्रभुता को कमजोर करने का लगाया आरोप
देव गुरुंग ने बताया कि उनकी पार्टी ने ओली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया क्योंकि सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि ओली सरकार की हालिया गतिविधियों ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर दिया है। समर्थन वापसी के बाद अब ओली सरकार के पास संसद में बहुमत खत्म हो गया है।
ओली को बहुमत के लिए चाहिए 15 सांसद
दरअसल, दो दिन पहले ही पीएम ओली ने ऐलान किया था कि वे संसद में 10 मई को विश्वासमत साबित करेंगे। नेपाली संसद के निचले सदन यानी प्रतिनिधि सभा में कुल 275 सदस्य हैं। जिसमें प्रचंड की माओवादी सेंटर के 49 सांसद हैं। इसके अलावा ओली की सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के पास 121 सांसद हैं। ऐसे में ओली को अपनी सरकार बचाने के लिए 17 सांसदों की और जरूरत है।
नेपाल में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 138
नेपाल में अविश्‍वास प्रस्‍ताव को पारित कराने और बाद में एक सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 138 है। इन सबमें नेपाली कांग्रेस किंगमेकर साबित हो सकती है जिसके 63 सांसद हैं। नेपाली कांग्रेस या तो ओली के पास जा सकती है जिनके पास करीब 80 सांसद हैं या प्रचंड के खेमे को सपोर्ट दे सकती है।
Next Story