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सत्ता का नशा! इस देश में प्रधानमंत्री के लिए संसद का दरवाजा नहीं खुला, जानें क्या है पूरा मामला...
jantaserishta.com
25 May 2021 10:50 AM GMT
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सत्ता का नशा ऐसा होता है कि एक बार किसी के दिमाग पर चढ़ जाए तो क्या सही है और क्या गलत है वो इसकी परवाह नहीं करता है. प्रशांत सागर क्षेत्र में स्थित एक देश समोआ में कुछ ऐसा ही होता दिखाई दे रहा है, जहां देश की नई प्रधानमंत्री के लिए संसद के द्वार नहीं खुल सके. जानें क्या है पूरा मामला...
समोआ में हुए चुनाव में सत्ताधारी दल की हार के बाद पीएम ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, पीएम अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पाए, तो संसद में ताला लगा दिया. समोआ में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इस देश को पहली महिला प्रधानमंत्री मिली है. लेकिन सत्ता को हाथ से जाने से नाखुश मौजूदा पीएम ट्विलाएपा सैलेले मैलिलेगाओई ने पद छोड़ने से मना कर दिया है.
संसद में ताला लगने की वजह से पहली महिला पीएम नाओमी मताफा को संसद के बाहर तंबू लाकर शपथ लेनी पड़ी. इसके बाद से ही देश में नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है. बता दें, समोआ में 40 सालों से शासन कर रही ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन पार्टी को मताफा की फास्ट पार्टी ने अप्रैल में हुए चुनाव में सत्ता से हटा दिया था. इधर, मैलिलेगाओई इस समारोह को मानने तैयार नहीं हैं. उन्होंने इसे अनाधिकारिक करार दिया है.
एचआरपीपी और फास्ट पार्टी के बीच चुनाव बेहद कड़ा मुकाबला देखने को मिला. इस दौरान दोनों पार्टियों ने 25-25 सीटें हासिल की, लेकिन इसके बाद एक निर्दलीय विजेता ने फास्ट को अपना समर्थन दिया था. इस फैसले के बाद एचआरपीपी ने सत्ता बचाने के लिए कानून का सहारा लिया और अदालत में कहा कि विरोधियों ने महिला सांसद कोटे का पालन ठीक तरह से नहीं किया है.
इसके बाद चुनाव आयोग ने अप्रैल के मतदान के नतीजों को रद्द किया और 21 मई को नए चुनाव का ऐलान कर दिया. लेकिन पांच दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल के चुनाव को ठीक बताया, जिसके बाद एचआरपीपी को इस फसले से काफी निराशा हुई.
पीएम मैलिलेगाओई ने इस चुनाव से पहले देश पर 22 सालों तक शासन किया था. समोआ ने साल 1962 में न्यूजीलैंड से आजादी हासिल की थी. बहरहाल, अब इस पॉलिटिकल संकट से कैसे निपटा जाएगा हर किसी की निगाहें इस टीकी हुई हैं.
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