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अमेरिका को ईरान से हमला का सम्भावित खतरा, पेंटागन ने कहा- विमान वाहक पोत निमित्ज पश्चिम एशिया के सागर में बना रहेगा

Gulabi
4 Jan 2021 11:25 AM GMT
अमेरिका को ईरान से हमला का सम्भावित खतरा, पेंटागन ने कहा- विमान वाहक पोत निमित्ज पश्चिम एशिया के सागर में बना रहेगा
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अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा है कि अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज पश्चिम एशिया के सागर में बना रहेगा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वॉशिंगटन: अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा है कि अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज पश्चिम एशिया के सागर में बना रहेगा क्योंकि अमेरिका को ईरान से हमला का सम्भावित खतरा है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने तीन दिन पहले कहा था कि 10 महीने से मध्य पूर्व के समंदर में तैनात यूएसएस निमित्ज को हटा लिया जाएगा लेकिन अब अमेरिका ने अपना रुख बदल लिया है।


पेंटागन के एक्टिंग डिफेंस सेकेरेट्री क्रिस मिलर ने कहा कि यूएसएस निमित्ज अब ऑपरेशन के एरिया में कायम रहेगा। अमेरिकी सरकार ने यह फैसला काफी सोच-विचार के बाद लिया है। अमेरिका का यह कदम ईरान द्वारा अपने मरहूम सैन्य प्रमुख कासेम सुलेमानी की पहली वर्षगांठ मनाने के बाद सामने आया है। 3 जनवरी, 2020 को सुलेमानी की हत्या बगदाद हवाई अड्डे के पास एक ड्रोन हमले से हुई थी।

इससे दोनों देशों के बीच तनाव गहराता चला गया और अब एक बार फिर क्षेत्र में सैन्य टकराव की स्थिति बनती दिखाई दे रही है। ईरान ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ने अपने परमाणु बॉम्बर पारस की खाड़ी में भेजे हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का दावा है कि पिछले 48 घंटे में ईरानी नौसेना और सक्रिय हो गई है। उधर, इजरायली मीडिया ने अमेरिकी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इजरायल और सऊदी अरब ट्रंप को उकसा रहे हैं कि अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले वह ईरान के परमाणु ठिकानों को ध्वस्त करें।

अमेरिका कर रहा हमले की तैयारी?
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका को डर है कि कहीं 3 जनवरी को सुलेमानी की बरसी पर ईरान अमेरिका को निशाना बनाने की कोशिश न करे। यही नहीं, राजनीतिक विश्लेषकों ने यह भी आशंका जताई है कि राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की जीत से बौखलाए ट्रंप जाते-जाते ईरान के साथ विवाद को और जटिल बनाने की कोशिश कर सकते हैं ताकि आने वाली सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की जा सकें।

दरअसल, बाइडेन की योजना है कि ईरान पर ट्रंप ने जो दबाव बनाया था उसे कम किया जाए, उससे बातचीत की जाए और ईरान परमणु समझौते पर लौटा जाए। ऐसे में एक्सपर्ट्स को लगता है कि ईरान किसी भी कदम को सोच-समझकर उठाएगा ताकि बाइडेन के आने पर उसके ऊपर लगे प्रतिबंधों में ढील मिल सके।



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