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लगभग 1,50,000 मूल निवासी बच्चों को उनके परिवारों से दूर ले जाया गया था।
पोप फ्रांसिस ने कनाडा के इंडिजेनस रेजिडेंशियल स्कूल के लिए 'कष्टकारी' नीति में कैथोलिक चर्च द्वारा सहयोग देने के लिए सोमवार को ऐतिहासिक माफीनामा जारी किया। उन्होंने कहा कि मूल निवासियों को जबरन ईसाई समाज में शामिल किया गया। इससे उनकी संस्कृति नष्ट हो गई। अलग हुए परिवारों और हाशिये पर रहने वाले लोगों को जो कष्ट हुआ, उसे आज भी अनुभव किया जा रहा है। पोप ने कहा, मुझे इसका खेद है। मूल निवासियों के खिलाफ अनगिनत ईसाइयों ने जो गलत काम किया, उसके लिए मैं विनम्रतापूर्वक माफी मांगता हूं।
उन्होंने कहा, 'मैं उन सभी अत्याचारों के लिए माफी मांगता हूं जो कई इसाइयों ने मूल निवासियों पर ढाए।'
फ्रांसिस द्वारा माफी मांगने का गवाह बनने के लिए अल्बर्टा में बड़ी संख्या में उत्पीड़न के शिकार पूर्व छात्र और स्थानीय समुदाय के सदस्य एकत्रित हुए। कनाडा आने के पहले ही दिन पोप ने माफी मांगकर संदेश देने का प्रयास किया कि वे इसे कितना महत्व देते हैं। पोप सोमवार सुबह सात दिनों की 'धार्मिक यात्रा' पर कनाडा पहुंचे। लंबे समय से मांग की जा रही थी कि कैथोलिक रेजिडेंशियल स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों से दुर्व्यवहार और सांस्कृतिक दमन के लिए पोप माफी मांगें। 19वीं और 20वीं सदी में डेढ़ लाख से अधिक स्थानीय छात्रों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए बाध्य किया गया था।
गौरतलब है कि पोप फ्रांसिस ने आवासीय स्कूलों में मिशनरियों द्वारा दुर्व्यवहार किये जाने को लेकर स्थानीय समुदाय से माफी मांगने के लिए रविवार को कनाडा की ऐतिहासिक यात्रा शुरू की।
इसे मूल निवासी समुदायों के साथ सामंजस्य स्थापित करने और उस दौर के सदमे से उबरने में मदद करने के प्रयासों में कैथोलिक चर्च के एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
कनाडा सरकार ने स्वीकार किया है कि 19वीं शताब्दी से 1970 के दशक तक संचालित सरकारी-वित्त पोषित ईसाई स्कूलों में शारीरिक और यौन शोषण बड़े पैमाने पर किया गया था। लगभग 1,50,000 मूल निवासी बच्चों को उनके परिवारों से दूर ले जाया गया था।
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