विश्व

ऋषि की ताजपोशी पर भारत में सियासी दंगल, महबूबा बोलीं- हम CAA-NRC में ही उलझे हैं, रविशंकर ने दिया ये जवाब

Admin4
25 Oct 2022 9:30 AM GMT
ऋषि की ताजपोशी पर भारत में सियासी दंगल, महबूबा बोलीं- हम CAA-NRC में ही उलझे हैं, रविशंकर ने दिया ये जवाब
x
ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. वे भारतीय मूल के पहले शख्स हैं जो ब्रिटेन के पीएम बनने जा रहे हैं. ऋषि सुनक हिन्दू धर्म को मानते हैं और अपने धार्मिक विश्वास को बिना संकोच जाहिर करते हैं. ऋषि सुनक की पीएम पद पर ताजपोशी की पुष्टि होने के साथ ही भारत में भी कुछ लोगों ने अल्पसंख्यकों और शरणार्थियों के अधिकारों को लेकर सवाल उठाया है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जहां ब्रिटेन ने अल्पसंख्यक मूल के एक शख्स को अपने पीएम के तौर पर स्वीकार किया है वहीं भारत अभी भी CAA और NRC जैसे विभाजनकारी कानूनों में उलझा हुआ है. कांग्रस नेता शशि थरूर ने भी ऐसे ही विचार जाहिर किए हैं. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि भारत में अल्पसंख्यक सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं और पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम इसके उदाहरण हैं.
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर ने कहा है कि क्या भारत में ऐसा हो सकता है? उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि सुनक पीएम बनते हैं 'तो मुझे लगता है कि हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि ब्रितानियों ने दुनिया में कुछ बहुत ही दुर्लभ काम किया है, ये काम है अल्पसंख्यक समुदाय के एक सदस्य को सबसे शक्तिशाली ऑफिस की जिम्मेदारी सौंपना. अब जबकि हम भारतीय ऋषि सुनक की कामयाबी की खुशी मना रहे हैं, आइए इमानदारी से पूछते हैं-क्या हमारे यहां ऐसा हो सकता है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने ऋषि सुनक के बहाने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि यह गर्व का क्षण है कि यूके को भारतीय मूल का पहला पीएम मिलने वाला है. अब जबकि पूरा भारत इसकी खुशी मना रहा है. यह याद रखना हमारे लिए अच्छा होगा कि यूके ने एक जातीय अल्पसंख्यक सदस्य को अपने प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया है, फिर भी हम NRC और CAA जैसे विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण कानूनों से बंधे हैं.
महबूबा मुफ्ती को बीजेपी नेताओं ने इस ट्वीट पर जवाब दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि ऋषि सुनक के पीएम चुने जाने के बाद कुछ नेता बहुसंख्यकवाद को लेकर हाइपर एक्टिव हो गए हैं. मैं उन्हें भारत में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के 10 साल, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के 5 साल और विशिष्ट आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू हमारी वर्तमान राष्ट्रपति हैं. रविशंकर ने कहा कि क्या महबूबा ये बताएंगी कि वे किसी अल्पसंख्यक को जम्मू कश्मीर का सीएम स्वीकार करेंगी.
बीएसपी नेता नेता कुंवर दानिश अली ने भी इस मामले में सरकार को सलाह दी है. दानिश अली ने कहा है कि मुझे लगता है कि हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि एक अल्पसंख्यक को सबसे शक्तिशाली पद सौंप कर ब्रितानियों ने दुनिया में एक अनोखा और दुर्लभ काम किया है. हम भारतीय आज ऋषि सुनक की सफलता का जश्न मना रहे हैं. आइए, अपने से हम ईमानदारी से पूछें: क्या ऐसा हमारे यहां हो सकता है?
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस मामले में अपनी राय दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा पहले कमला हैरिस, अब ऋषि सुनक, यू.एस. और यू.के. के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को गले लगा लिया है और उन्हें सरकार में उच्च पद के लिए चुना है. मुझे लगता है कि भारत और बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाली पार्टियों द्वारा सीखने के लिए एक सबक है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील और पूर्व कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के बड़े नेताओं से अलग राय दी है. उन्होंने कहा है कि ऋषि सुनक अपनी क्षमता के दम पर पीएम बने हैं. भारतीयों के रूप में हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि एक एशियाई ब्रिटेन का पीएम बन गया है, लेकिन इसे भारत के लिए "अल्पसंख्यक सहिष्णुता" सबक के रूप में इस्तेमाल करना गलत है. डॉ. सिंह और डॉ. कलाम ने गर्व के साथ राष्ट्र का नेतृत्व किया है. हमारे गौरवशाली इतिहास को नहीं भूलना चाहिए.
Admin4

Admin4

    Next Story