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म्यांमार से भाग कर भारत आए पुलिस ऑफिसर्स, बयां किया खौफनाक हालात

Gulabi
10 March 2021 2:33 PM GMT
म्यांमार से भाग कर भारत आए पुलिस ऑफिसर्स, बयां किया खौफनाक हालात
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म्यांमार का इतिहास बीती एक फरवरी को फिर से बदल गया

Myanmar Coup News: म्यांमार का इतिहास बीती एक फरवरी को फिर से बदल गया. सभी शीर्ष नेताओं को सेना ने जेल में बंद कर दिया और खुद देश की कमान संभाल ली. उस दिन से ही फिर से लोकतंत्र की बहाली हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. शायद ही कोई ऐसा शहर बचा हो, जहां विरोध प्रदर्शन न हो रहे हों. मगर सेना आवाम की आवाज सुनने के बजाय लोकतंत्र की आवाज को कुचलने में लग गई है. आए दिन प्रदर्शनकारियों को गोलियां मारी जा रही हैं. सेना पूरी तरह से बर्बरता पर उतर आई है. हाल ही में सेना का आदेश मानने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारियोंं ने म्यांमार से भागकर भारत में शरण ली है.


अपने परिवार के साथ तीन दिन तक छिपते-छिपाते भारत पहुंचे इस पुलिस अधिकारी ने वहां के खौफनाक हालात को बयां की किया है. था पेंग (Tha Peng) नाम का यह पुलिस ऑफिसर म्यांमार के खम्पात शहर में तैनात था. 27 फरवरी को उसे आदेश दिया गया कि अपनी मशीनगन से प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दे. मगर ऑफिसर ने यह आदेश मानने से इनकार कर दिया. 27 साल के पुलिस अधिकारी से अगले दिन फिर से पूछा गया, 'क्या तुम गोलियां चला सकते हो?' था पेंग ने फिर से इनकार कर दिया और इस्तीफा दे दिया.

परिवार समेत भागकर मिजोरम आया
एक मार्च को था पेंग ने अपने परिवार के साथ म्यांमार से भागने का फैसला किया. तीन दिनों तक रात में सफर कर वह मिजोरम पहुंचा. अल-जजीरा ने रॉयटर्स के हवाले से एक खबर छापी. इस रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी ने म्यांमार के सेना की बर्बरता की दास्तां सुनाई. था पेंग ने कहा, 'मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था.' पेंग ने बताया कि उसने और उसके छह साथियों ने सीनियर्स का आदेश मानने से इनकार कर दिया.

मिजोरम पुलिस को सुनाई दास्तां




म्यांमार से भागकर भारत में शरण लेने वाले था पेंग और अन्य पुलिस अधिकारियों ने मिजोरम पुलिस के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि आखिर क्यों वे भागकर यहां आए हैं. मिजोरम पुलिस को दिए संयुक्त बयान में इन्होंने बताया कि हमें प्रदर्शनकारियों को गोली मारने का आदेश था और हमने इस आदेश का पालन नहीं किया. हम लोगों में इतनी हिम्मत नहीं थी कि हम शांति से प्रदर्शन कर रहे अपने ही लोगों को गोली मार सकें. हालांकि म्यांमार सेना की ओर से इस बारे में कोई बयान नहीं दिया गया है.

जान से मारने का आदेश
था पेंग ने बताया कि म्यांमार की पुलिस पॉलिसी के मुताबिक प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हमें या तो रबड़ की गोलियां चलानी होती हैं या फिर घुटने से नीचे गोली मारनी होती है. मगर हमारे सीनियर्स ने हमें आदेश दिया, 'तब तक गोलियां मारो, जब तक मर न जाए.' गुन हे नाम के पुलिस कॉन्सटेबल ने भी कहा कि उसे गोली मारने का आदेश मिला था.


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