श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने पद से इस्तीफा का एलान कर दिया है। आर्थिक संकट के बीच विक्रमसिंघे ने इसी साल 12 मई को श्रीलंका के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उनसे पहले महिंद्रा राजपक्षे देश के प्रधानमंत्री थे। विक्रमसिंघे को 59 दिन के भीतर ही प्रधानमंत्री का पद छोड़ने का एलान करना पड़ा है। उन्होंने ट्वीट किया, सभी नागरिकों की सुरक्षा सहित सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए मैं आज पार्टी नेताओं की सर्वदलीय सरकार के लिए रास्ता बनाने की सबसे अच्छी सिफारिश को स्वीकार करता हूं। इसे सुगम बनाने के लिए मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दूंगा।
विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को सूचित किया है कि एक सर्वदलीय सरकार का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में ईंधन का संकट है, भोजन की कमी है और विश्व खाद्य कार्यक्रम निदेशक देश में आने वाले हैं। जब सरकार इस्तीफा देती है, तो यह आवश्यक है कि एक और सरकार स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्यभार ग्रहण करने के लिए तैयार हो। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आईएमएफ की चर्चा जैसे आर्थिक सुधार में बाधा न आए।
पीएमओ के मुताबिक, विक्रमसिंघे ने सुरक्षाकर्मियों द्वारा चल रहे विरोध प्रदर्शनों को कवर कर रहे पत्रकारों पर हमले पर गहरा खेद व्यक्त किया। श्रीलंका में लोकतंत्र के लिए मीडिया की आजादी सर्वोपरि है। उन्होंने सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों दोनों से किसी भी हिंसा को रोकने और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयम से काम लेने का अनुरोध किया है।
बता दें कि श्रीलंका अभी अपनी आजादी (1948) के बाद से सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। उस पर कुल 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी कर्ज है। द्वीप देश को अभी प्रतिवर्ष 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है।
आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका के आम लोगों को महंगाई, ईंधन, स्वास्थ्य समेत सभी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। रानिल विक्रमसिंघे से पहले महिंद्रा राजपक्षे देश के प्रधानमंत्री थे। देश के अलग-अलग हिस्सों में भारी विरोध के बाद उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। गुस्साई भीड़ ने उनके पुस्तैनी घर को भी आग के हवाले कर दिया था। यही नहीं उनकी सरकार के कई मंत्रियों को भी आग के हवाले कर दिया गया था।
वहीं तमाम विरोध प्रदर्शनों के बावजूद महिंद्रा राजपक्षे के भाई गोटबया राजपक्षे अभी राष्ट्रपति की कुर्सी पर बने हुए हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे 2019 में भारी बहुमत से राष्ट्रपति चुने गए थे। उसके पहले उसी साल ईस्टर के मौके पर देश में भयानक आतंकवादी हमले हुए थे।