अमेरिका ने भारत में कोविड-19 वैश्विक महामारी की चुनौतियों के बीच स्वच्छ ऊर्जा को लगातार बढ़ावा देने की मुहिम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है।
जलवायु परिवर्तन पर विशेष राजदूत जॉन केरी के वरिष्ठ सलाहकार जोनाथन परशिंग ने कांग्रेस की समिति के समक्ष कहा कि अमेरिका और भारत जलवायु परिवर्तन पर एक प्रतिबद्ध सहयोगी हैं।
परशिंग ने सांसदों से कहा, हम कोविड-19 संकट से पैदा चुनौतियों के बावजूद भारत में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निरंतर ध्यान देने का स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा, अप्रैल में दोनों सरकारों ने भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी पर हस्ताक्षर किए। साझेदारी के तहत दोनों पक्षों ने स्वच्छ तकनीकों और जलवायु कार्रवाई के लिए 2030 के एजेंडे की पहचान की।
जलवायु परिवर्तन एवं सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय सैन्य परिषद महासचिव शेरी गुडमैन ने सांसदों को बताया कि परमाणु संपन्न पड़ोसियों भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों में जलवायु भी अहम कारक रहे हैं।
चीनी कोशिशों की आलोचना
इससे पहले एक अध्ययन में भारत-चीन के बीच विवादित सीमा के पास जलवायु परिवर्तन को लेकर एक अनुमान लगाया गया, जहां करीब एक लाख भारतीय और चीनी सैनिक 15 हजार फुट की ऊंचाई पर तैनात हैं।
गुडमैन ने कहा, जिस जगह से ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है, वहां चीन दुनिया की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है। यह गलत है क्योंकि यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। इसने भारत के निचले इलाकों के लिए चिंता पैदा कर दी है।