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'नया पूंजीवाद' लाने का वादा, जुमला साबित हुआ प्रधानमंत्री किशिदा

Kajal Dubey
23 Jun 2022 9:50 AM GMT
नया पूंजीवाद लाने का वादा, जुमला साबित हुआ प्रधानमंत्री किशिदा
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जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के 'नया पूंजीवाद' के विचार पर अब सवाल उठने लगे हैं। अर्थशास्त्रियों, कारोबारियों और बाजार से जुड़े तबकों की तरफ से अब पूछा जा रहा है कि किशिदा के इस वादे और सरकारी नीति में क्या संबंध है? किशिदा ने पिछले साल संसदीय चुनाव के दौरान देश में नए ढंग का पूंजीवाद लाने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने अब तक इसकी रूपरेखा सामने नहीं रखी है।
बीते सात जून को किशिदा ने आर्थिक नीति संबंधी अपने दिशा-निर्देशों की घोषणा की। लेकिन इसमें भी मोटी बातें ही बताई गईं। नीति का बिंदुवार विवरण प्रधानमंत्री ने नहीं दिया। उसके बाद से 'नया पूंजीवाद' की उनकी सोच पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
पिछले साल अक्तूबर में बने थे प्रधानमंत्री
किशिदा पिछले अक्तूबर में प्रधानमंत्री बने थे। बतौर प्रधानमंत्री अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा था- 'आर्थिक वृद्धि के लाभ कुछ हाथों में केंद्रित हो गए हैं। जबकि विकास के लाभ यथासंभव सभी लोगों को मिलने चाहिए।' उसी प्रेस कांफ्रेंस में किशिदा से पूछा गया था कि नया पूंजीवाद से उनका क्या मतलब है। इस पर उन्होंने कहा था कि विकास और उसके लाभों के वितरण का एक बेहतर चक्र होना चाहिए।
किशिदा ने समाज में बढ़ी आर्थिक गैर-बराबरी की तब आलोचना की थी। उसके आधार पर समझा गया था कि किशिदा सरकार लाभांश (डिविडेंड) और कंपनियों के मुनाफे पर लगने वाले टैक्स में बढ़ोतरी करेगी। लेकिन प्रधानमंत्री के इन बयानों से जापान के शेयर मार्केट में भारी गिरावट आई। उसे 'किशिदा शॉक' के नाम से जाना गया। उसके बाद से किशिदा ने नया पूंजीवाद की चर्चा नहीं की है।
इस बीच जापानी अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ा है। खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद से जापानी मुद्रा येन के भाव में लगातार गिरावट आई है। इस वजह से जापान सरकार पर मौजूद कर्ज में भारी बढ़ोतरी हुई है। इस समय जापान सरकार पर मौजूद कर्ज देश के सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में 270 फीसदी हो गया है।
इन हालात के बीच प्रधानमंत्री किशिदा जापानी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने का अपना वादा भूल गए हैं। टोक्यो स्थित पॉलिटिकल कंसल्टैंसी फर्म लैंगली एस्क्वायर के संस्थापक टिमोथी लैंगली ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- 'खामोशी से आगे बढ़ो- अब हम किशिदा का यही नजरिया देख रहे हैं। नए पूंजीवाद के तहत धन के पुनर्वितरण और गैर बराबरी घटाने की बात कही गई थी। लेकिन सरकार ने इसके लिए जो उपाय घोषित किए, उनमें कोई दम नहीं है।'
किशिदा स्टार्ट अप्स को दें बढ़ावा
अमेरिका में मेसाचुसेट्स स्थित बॉबसन कॉलेज में उद्यम (आंत्रप्रिनियोरशिप) के प्रोफेसर युशिरो यामाकावा ने कहा है- 'अगर किशिदा नया सिस्टम तैयार करने की कोशिश करने के बजाय काम करते हुए सीखने का उद्यमियों जैसा नजरिया दिखाते तो विदेशी निवेशकों को महसूस होता कि जापान बदल गया है। ठोस कदमों से साख बनती है।'
कई दूसरे विशेषज्ञ अब सलाह दे रहे हैं कि किशिदा को स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने की नीति अपनानी चाहिए। उनके मुताबिक आज के माहौल में इसी सेक्टर में सबसे ज्यादा संभावना है। स्टार्ट अप्स के विशेषज्ञ जुन हासेगावा ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- सिर्फ स्टार्ट अप्स की संख्या बढ़ाने से सफलता की दर नहीं बढ़ेगी। बल्कि इसके लिए ऐसा इकोसिस्टम बनाना होगा, जिसमें स्टार्ट अप्स फूल-फल सकें। विशेषज्ञों की सलाह है कि जापान में बढ़ते आर्थिक संकट के बीच प्रधानमंत्री किशिदा जुमले की भाषा निकल कर ठोस नीतिगत पहल करनी चाहिए।
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