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जबकि इसमें ईंधन की लोडिंग का काम दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि पाकिस्तान दुनिया के उन टॉप 10 देशों में शामिल है जिसको जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक खतरा है। उन्होंने ये बात कराचीन न्यूक्लियर पावर प्लांट यूनिट-2 (के-2) के वर्चुअल उदघाटन के अवसर पर कही है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि चीन के सहयोग से मिलकर बना ये प्लांट 1100 मेगावाट क्लीन एनर्जी का उत्पादन करेगा।
उनके मुताबिक पाकिस्तान में पानी की जरूरत का 80 फीसद ग्लेशियर से हासिल होता है। लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियरों को तेजी से पिघलने से संकट पैदा हो रहा है। इसकी वजह से आने वाली जनरेशन को पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यदि अब भी नहीं सचेत हुए तो जलवायु परिवर्तन की वजह से भविष्य में लोगों को खाने का भी संकट खड़ा हो सकता है। इसलिए क्लीन एनर्जी की पाकिस्तान को सख्त जरूरत है।
इमरान खान ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि पाकिस्तान पानी से ऊर्जा पैदा करने पर बेहद कम ध्यान दे रहा है, जबकि उसके पास इसके लिए संसाधन मौजूद हैं। न ही अक्षय संसाधनों के माध्यम से ऊर्जा पैदा कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि इस प्लांट के जरिए काबिल लोगों को काफी फायदा होगा। इसके लिए चीन ने तकनीक भी ट्रांसफर की है। आने वाले समय में यहां पर हजारों की संख्या में विशेषज्ञ आएंगे। चीन की मदद से उभरने वाला ये एक नया क्षेत्र है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि ये सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तान और चीन आपसी संबंधों के 70वें साल में प्रवेश कर चुके हैं। दोनों देशों के बीच ये संबंध हमेशा से ही मजबूत रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद है कि चीन हर मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान के साथ खड़ा होगा। उनके मुताबिक हाल के कुछ वर्षों में दोनों देशों के नागरिकों के बीच आना जाना काफी बढ़ा है। इमराना का कहना था कि जो परेशानी पाकिस्तान आज झेल रहा है वो परेशानी चीन भी झेल चुका है। इसलिए पाकिस्तान चीन से काफी कुछ सीख सकता है। पाकिस्तान चीन से प्रदूषण पर लगाम लगाने के अलावा भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए भी सबक ले सकता है।
पाकिस्तान मीडिया के मुताबिक के-2 प्लांट की लाइफ करीब 60 वर्षों की है जो 20 वर्ष और आगे बढ़ सकती है। इसको इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें वेस्टेज कम से कम हो और फायदा अधिक हो। आपको बता दें कि इस प्लांट की शुरुआत नवंबर 2013 में हुइ थी जबकि इसमें ईंधन की लोडिंग का काम दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था।
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