जनता से रिश्ता वेबडेस्क| चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की मौजूदा सेंट्रल कमेटी का पांचवां पूर्ण अधिवेशन शुरू हुआ, जिस पर बाकी दुनिया की भी निगाहें लगी हैं। इसकी वजह यह है कि इस अधिवेशन में चीन की चौदहवीं पंचवर्षीय योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। बैठक 29 अक्टूबर तक चलेगी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस योजना का मसौदा सेंट्रल कमेटी के सामने पेश किया।
पहले ये खबर आई थी कि कोरोना महामारी के बाद बने हालात को ध्यान में रखते हुए नई पंचवर्षीय योजना में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर का कोई लक्ष्य तय नहीं किया जाएगा। बल्कि इस बार पूरा ध्यान ग्रामीण पुनर्जीवन और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने पर केंद्रित किया जाएगा। लेकिन मीडिया में अटकलें लगाई गई हैं कि सेंट्रल कमेटी इस योजना के दौरान पांच से छह फीसदी तक वृद्धि तक जारी रखने का लक्ष्य तय करेगी। इस योजना पर अगले साल से अमल शुरू होगा।
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन अगले चालीस वर्षों में कार्बन उत्सर्जन को शून्य कर देगा। इसका मतलब यह है कि चीन को अभी से अपने आर्थिक विकास की योजनाएं इस रूप में बनानी होंगी, जिनमें कार्बन उत्सर्जन घटाने की कार्य-योजना शामिल हो। जलवायु परिवर्तन नियंत्रित करने के लिए चीन पर दबाव है कि वह कार्बन का उत्सर्जन घटाए। चीन को हाल में खुद भी असामान्य प्राकृतिक आपदाएं झेलनी पड़ी हैं। क्या सचमुच ऐसी कार्य-योजना अपनाई जाएगी और इसका क्या स्वरूप होगा, इसे देखने पर सारी दुनिया की निगाहें लगी हैं। चीनी जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने ऐसी कार्य योजना पर्याप्त अनुसंधान और गणना के बाद तैयार की है, जिसे सेंट्रल कमेटी मंजूरी देगी।
चीनी योजनाकारों के सामने जलवायु परिवतन और कोरोना महामारी से बने हालात के साथ-साथ पश्चिमी दुनिया में बने चीन विरोधी माहौल की भी चुनौती रही है। अमेरिका में चीन के प्रभाव को नियंत्रित करने पर दोनों प्रमुख दलों में लगभग आम सहमति है, इसलिए अगले हफ्ते होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से अमेरिका की चीन नीति में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। संभवतया इसे ध्यान में रखते हुए ही चीन अपनी नई योजना तय करेगा।
चीन के लिए अच्छी खबर यह है कि कोरोना महामारी के असर से उसकी अर्थव्यवस्था तेजी से उबर रही है। मशहूर ब्रिटिश पत्रिका द इकॉनोमिस्ट ने इसे 'वी' शेप रिकवरी कहा है। पत्रिका ने कहा है कि जहां दूसरे देश मंदी और कोरोना महामारी के दूसरे दौर से बुरी तरह प्रभावित हैं, वहीं चीन झटके के बाद उठ कर खड़ा हो गया है। वहां के अंदरूनी बाजार में मांग फिर से तेज हो गई है, जिससे उपभोग बढ़ा है।
पत्रिका ने अंदाजा लगाया है कि जब कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं आ जाती, दूसरे देश चीन जैसी आर्थिक रिकवरी हासिल करने के लिए संघर्ष करते ही नजर आएंगे। गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में चीन ने 4.9 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर हासिल की, जबकि तमाम दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ी हैं। यह ट्रेंड इस पूरे वित्त वर्ष में जारी रहने का अनुमान है।
अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टैनले के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि चीन अब निर्यात आधारित उत्पादन के बजाय घरेलू उपभोग केंद्रित उत्पादन की रणनीति अपनाएगा। इन अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इस रणनीति के जरिए भी चीन आने वाले पांच वर्षों में पांच फीसदी की दर से आर्थिक विकास हासिल कर सकने में सक्षम है।