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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकार ने बीती 1 जुलाई से देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। माना जा रहा है कि सरकार ने ये कदम प्रदूषण से निपटने के लिए उठाया है। भारत में प्लास्टिक 'वेस्ट पॉल्यूशन' का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। अनुमान के मुताबिक देश में हर साल करीब 14 मिलियन टन प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर कचरा फैल जाता है. प्लास्टिक लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक होती है. इससे लोग कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
प्लास्टिक पर बैन को लेकर पूरी दुनिया में बात हो रही है। भारत में भी 2 अक्टूबर 2019 को प्लास्टिक बैन कर दिया गया था लेकिन, इसके बाद भी धड़ल्ले से प्लास्टिक बिक रहे हैं। इसका लोगों के स्वास्थ्य पर काफी भयंकर प्रभाव पड़ रहा है. मौजूदा समय में पूरी दुनिया की बदलती जीनवशैली और आधुनिकता की वजह से दुनियाभर में तेजी से हो रहा प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ गया है। एक दिन धरती पर पाए जाने वाली कुछ खास प्रजातियों के अंत का कारण बन सकता है. फिलहाल प्लास्टिक का दुनियाभर में अंधाधुंध उपयोग हो रहा है।
प्लास्टिक बैग, पॉलिथीन और अन्य प्लास्टिक के कण हवा और पानी के माध्यम से समुद्रों, महासागरों और अन्य पानी के स्रोतों में मिला दिये जाते है। वे लोग जो पिकनिक और कैपिंग के लिये जाते है। उनके द्वारा भी प्लास्टिक बोतलो और पैकटो के द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाया जाता है। यह सब नदियों और समुद्रों में पहुंच जाता है, जिससे समुद्री जीवो के लिये एक गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है क्योकि समुद्री जीव इन प्लास्टिको को अपना भोजन समझकर खा लेते हैं। जिससे मछलियों, कछुओं और अन्य समुद्री जीवो के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है।
हरसाल कई समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या से अपनी जान गवां देते हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्लास्टिक को लेकर चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने चेतावनी दी है कि 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा संख्या में होगी। दरअसल दुनियाभर में निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को पूरी तरह से रिसाइकल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में ज्यादातर जगहों पर प्लास्टिक कचरा समुद्र में गिराए जाने के कारण समुद्रों में प्रदूषण का लेवल तेजी से बढ़ रहा है।
समुद्र में प्रदूषण के बढ़ने के कारण दर साल समुद्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या तेजी से कम हो रही है। यहीं कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्लास्टिक उपयोग को कम करने और समुद्र में प्लास्टिक कचरे के कारण होने वाले प्रदूषण से सचेत करते हुए चेतावनी दी है कि 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक मिलेगा। यहीं वजह है कि 27 जून 2022 से लेकर 1 जुलाई 2022 तक केन्या और पुर्तगाल की सरकारों की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें समुद्र में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने पर जोर दिया गया।
बता दें कि दुनियाभर में हर साल 30 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक का प्रोडक्शन किया जाता है। जिसमें हर साल 1 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों में छोड़ दिया जाता है। जिसकी वजह से हर साल 10 करोड़ समुद्री जीवों की मौत हो रही है जो एक बड़ी चिंता का विषय है।
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