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पाकिस्तान मे ऊंट के गले में लटकाई गई तख्तियां, जानें क्या है मामला

Apurva Srivastav
22 March 2021 3:35 PM GMT
पाकिस्तान मे ऊंट के गले में लटकाई गई तख्तियां, जानें क्या है मामला
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पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और यहां महंगाई के कारण रोजमर्रा की चीजें भी लोगों की पहुंच से दूर जा रही हैं.

पाकिस्तान (Pakistan) इस समय आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और यहां महंगाई के कारण रोजमर्रा की चीजें भी लोगों की पहुंच से दूर जा रही हैं. ये बात लगभग हर कोई जानता है. लेकिन पाकिस्तान में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले भी पाकिस्तान अनाज के बड़े संकट (1935 Food Crisis in Pakistan) का सामना कर चुका है. ये बात है साल 1953 की. यानी भारत से अलग होने के महज कुछ साल बाद ही पाकिस्तान में लोगों को खाना तक मिलना मुश्किल हो गया था. तब केवल ऊंची पहुंच वाले संपन्न लोग ही फसल खरीद पा रहे थे.

सरकार ने जब संकट की समीक्षा की तो पता चला कि इसके पीछे का कारण गलत व्यापार नीति हैं. अधिकारियों ने लोगों की समस्याओं को ठीक से नहीं समझा. सरकार ने अपनी नीतियों के तहत अनाज के व्यापार पर कुछ इस तरह नियंत्रण लगाया था कि कभी अनाज से संपन्न रहने वाली पंजाब की मंडियां खाली हो गई थीं. गेहूं की इतनी कमी हो गई कि लोगों को मजबूर होकर मक्का और बाजरा खाकर गुजारा करना पड़ रहा था (Thank You America Plates in Neck of Camels). बाद में फिर ये चीजें भी लोगों को मुश्किल से नसीब हो रही थीं. हालात इतने बुरे हो गए कि कुछ क्षेत्रों में लोगों को पेड़ की जड़ और घास खानी पड़ रही थीं.
सरकार ने क्या किया?
बीबीसी की रिपोर्ट में 1953 के अखबार में छपी एक रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि सरकार ने इस परेशानी से निपटने के लिए कई उपाय अपनाए. जैसे पार्टी में 25 से ज्यादा लोगों को बुलाने पर पाबंदी लगाई गई. इस नियम का उल्लंघन करने वाले को तीन साल की जेल और जुर्माना लागने की बात कही गई. एक जिले से दूसरे जिले जाने वाले खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन ये सभी उपाय दिखावटी लग रहे थे (Pakistan in 1953). क्योंकि नियम तोड़े जा रहे थे और लोगों में बेचैनी बढ़ रही थी. असामाजिक तत्व सक्रिय होने लगे और नकली राशन कार्ड बनाए जाने लगे. बेशक नियम तोड़ने वाले गिरफ्तार हो रहे थे लेकिन पुलिस की सक्रियता बेहद कम थी.
ऊंट के गले में लटकाई गई तख्तियां
इसके बाद सरकार ने अधिक गेहूं खरीदने का फैसला लिया. पहले लाहौर में 1953 में और फिर 1958 में पूरे देश में मार्शल लॉ लागू किया गया. हालातों में सुधार हुआ लेकिन फिर से 1970 के दशक में संकट आ गया. रिपोर्ट के अनुसार, सरकार गेहूं का आयात करती रही. खाद्य पदार्थों की मांग के लिए सरकार (Pakistan Government) ने कराची के बंदरगाह पर उतरने वाले गेहूं को ऊंटों पर लाद दिया. इन ऊंटों के गले में तख्तियां लटकाई गईं, जिनपर 'थैंक यू अमेरिका' लिखा था. यानी अमेरिका को धन्यवाद कहा गया. हालांकि अब एक बार फिर बढ़ते विदेशी कर्ज और आर्थिक संकट ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है. जिसके चलते रोजाना महंगाई बढ़ती जा रही है.


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