हमारी पृथ्वी पर मौजूद समुद्र और महासागरों को देखकर ऐसा लगता है कि ऐसा सिर्फ हमारे ग्रह पर ही है. हालांकि, केवल पृथ्वी पर महासागर मौजूद नहीं है, बल्कि हमारे सौरमंडल में मौजूद कई चंद्रमाओं और क्षुद्र ग्रहों पर भी इनकी मौजूदगी है. ऐसे में आइए सौरमंडल में मौजूद ऐसे ही 10 महासागरों के बारे में जाना जाए.
यूरोपा: बृहस्पति ग्रह के चौथे सबसे बड़े चंद्रमा यूरोपा पर पानी की मौजूदगी के सबूत हैं. NASA के हबल टेलिस्कोप ने इसके साउथ पोल से 200 किमी ऊपर तक भाप को उठते हुए देखा था. इससे पता चलता है कि यूरोपा पर बर्फ की एक परत मौजूद है, जो बस कुछ किलोमीटर मोटी हो सकती है. इसके अलावा यहां एक खारे पानी का महासागर हो सकता है.
गेनीमेड: बृहस्पति का सबसे बड़ा चंद्रमा गेनीमेड बुध ग्रह से आठ फीसदी ज्यादा बड़ा है, लेकिन इसका मास केवल आधा ही है. इससे इस चंद्रमा पर पत्थर और पानी की मौजूदगी हो सकती है. गैलीलियो स्पेसक्राफ्ट ने 1990 में पता लगाया कि गेनीमेड का खुद का चुंबकीय क्षेत्र है, जिसका मतलब इसका कोर पिघले हुए लोहे का होगा. इस कोर से निकलने वाली गर्मी बर्फ को पिघलाने और एक विशाल भूमिगत महासागर बनाने के लिए पर्याप्त होगी. ये महासागर दो बर्फीली परत के बीच 100 किमी की गहराई वाला हो सकता है.
कैलिस्टो: बृहस्पति ग्रह का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा कैलिस्टो है, जो लगभग बुध जितना बड़ा है. लेकिन उससे एक तिहाई विशाल है, जिसका अर्थ है कि यहां लगभग 50 फीसदी पानी मौजूद है. गैलीलियो स्पेसक्राफ्ट ने जब इसकी ग्रेविटी को मापा तो पता चला कि इसकी आंतरिक संरचना पूरी तरह से बर्फ के आवरण के साथ पत्थर कोर से अलग नहीं हुई है. इस वजह से बर्फ कभी पिघली ही नहीं है.
प्लूटो: प्लूटो इतना छोटा है कि अपने कोर को पिघलाने के लिए पर्याप्त गर्मी बरकरार नहीं रख सकता है. लेकिन इस पर इतनी गर्मी जरूर है, जो हल्के एलिमेंट को पिघला सके. इस वजह से इसका 1700 किमी का पथरीला क्षेत्र पानी और बर्फ से घिरा हुआ है. इससे यहां महासागर होने के सबूत मिलते हैं.
मिमास: शनि का चंद्रमा मिमास अधिकतर जल बर्फ से बना हो सकता है जिसमें चट्टान का टुकड़ा भी मौजूद हो. हाल ही में एक शोध में बताया गया कि इसकी तली में एक महासागर मौजूद है, जो बेहद ही पतली परत से ढका हुआ है.
एन्सेलेडस: 2005 में NASA की कैसिनी स्पेसक्राफ्ट ने शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस के दक्षिणी ध्रुव के पास भाप को निकलते हुए देखा. एन्सेलेडस पर लगभग 370 किलोमीटर की दूरी तक एक चट्टानी कोर है, जो बर्फीले क्रस्ट के नीचे 10 किलोमीटर गहरे समुद्र से घिरा हुआ है.
डायोन: भारी चट्टानी कोर वाले शनि के चंद्रमा डायोन पर 50 फीसदी पानी हो सकता है. इस वजह से यहां जमी हुई बर्फ की क्रस्ट मौजूद है. NASA का कहना है ये क्रस्ट 35-95 किमी गहरे महासागर पर तैर रही है.