विश्व
फिलीपींस: दोबारा स्कूलों में आफलाइन क्लासेज शुरू, कोरोना महामारी के चलते हुए थे बंद
Rounak Dey
22 Aug 2022 5:58 AM GMT

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टीचर्स भी मानते हैं कि बीते दो वर्षों के दौरान बच्चों ने काफी कुछ खोया है।
फिलीपींस में दो साल के अंतराल के बाद देशभर में दोबारा स्कूलों में आफलाइन क्लासेज शुरू हो गई हैं। कोरोना महामारी की वजह से यहां के स्कूल दो वर्षों से पूरी तरह से बंद थे। फिलीपींस विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने दोबारा स्कूल खोलने का फैसला इतने समय के बाद लिया है। कोरोना के बाद देशभर के स्कूलों में फिर से बच्चों की रौनक दिखाई देने लगी है। क्लासों फिर से गुलजार हो गई हैं। बच्चों, अभिभावकों और टीचर्स के लिए भी ये पल काफी यादगार बन गया है। कोरोना की वजह से देश की शिक्षा व्यवस्था में काफी रुकावट आ गई थी। सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से शिक्षा व्यवस्था दोबारा पटरी पर लौट आएगी।
सरकार ने स्कूलों को दोबारा खोलने के साथ-साथ सभी बच्चों के लिए यूनिफार्म के साथ मास्क पहनना भी अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा स्कूल में एंट्री से पहले सभी बच्चों के शरीर का तापमान भी चेक किया जा रहा है। मनीला का पैड्रो गुवेरा एलिमेंट्री स्कूल भी उन स्कूलों में से एक था जहां पर नए आदेश के बाद पहली बार बच्चे स्कूल आए थे। इन सभी का क्लासरूम जाने से पहले तापमान लिया गया।
सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि तापमान अधिक होने या तबियत खराब होने का अंदेशा होने पर बच्चे या टीचर को स्कूलों में एंट्री न दी जाए। सरकार ने सभी अभिभावकों से ये अपील भी की है कि तबियत खराब होने पर वो अपने बच्चे को स्कूल न भेजें। ऐसी ही अपील टीचर्स को भी की गई है। बता दें कि फिलीपींस में मार्च 2020 से ही स्कूल बंद कर दिए गए थे। कुछ माह पहले भी देश में कोरोना के हजारों की संख्या में मामले सामने आ रहे थे।
देश के राष्ट्रपति फर्डीनांड मार्कोस ने नंबवर तक स्कूलों को हाइब्रिड मोड पर चलाने का आदेश दिया है। स्कूलों के दोबारा खुल जाने से बच्चों के चेहरे भी खिल गए हैं। छठी क्लास में पढ़ने वाली सोफिया ने एएफपी को बताया कि वो दो वर्षों तक जूम पर क्लासेज लेने के बाद अब अपने टीचरों और दोस्तों से मिलने को बेताब है। इसी तरह मैचलिंग ने कहा कि अब वो क्लास में अपने साथियों के साथ दोबार मस्ती कर सकेंगे और मिलकर पढ़ सकेंगे। उसने कहा कि उस जैसे हजारों बच्चों को इस दिन का बेसर्बी से इंतजार था।
वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि महामारी से पहले दस वर्ष के 10 में से 9 बच्चे साधारण से पैराग्राफ पढ़ पाने में सक्षम नहीं थे। महामारी ने इस खाई को और गहरी कर दिया हे। इसी तरह का हाल अफगानिस्तान, यमन, लाओस और चाड़ में भी है। कोरोना महामारी के दौरान जब स्कूल बंद हुए थे तो सरकार ने टीवी रेडियो और दूसरे माध्यमों बच्चों को पढ़ाने के तरीके शुरू किए थे। टीचर्स भी मानते हैं कि बीते दो वर्षों के दौरान बच्चों ने काफी कुछ खोया है।
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