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अफगानिस्तान में काम करने वाले लोग और पत्रकार शरण मिलने का कर रहे इंतजार

Subhi
25 Aug 2021 2:10 AM GMT
अफगानिस्तान में काम करने वाले लोग और पत्रकार शरण मिलने का कर रहे इंतजार
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तालिबान के डर से जहां काफी अफगानी काबुल हवाईअड्डे पर डेरा डाले हुए हैं, तो नागरिक समाज, सरकार से जुड़े रहे लोगों और मुखर पत्रकारों ने कई जगहों पर छिपकर पनाह ले रखी है।

तालिबान के डर से जहां काफी अफगानी काबुल हवाईअड्डे पर डेरा डाले हुए हैं, तो नागरिक समाज, सरकार से जुड़े रहे लोगों और मुखर पत्रकारों ने कई जगहों पर छिपकर पनाह ले रखी है। इनके लिए एक-एक पल घंटे जैसा बीत रहा है, तो घंटे किसी दिन-सा अहसास करा रहे हैं। मन में हमेशा कयामत की दस्तक का खौफ समाया रहता है, तो आंखों में कहीं शरण मिलने का इंतजार।

बच्चों के साथ लाचार मोबिना: मजार-ए-शरीफ की 39 वर्षीय मोबिना पेशे से पत्रकार हैं। जब उनके शहर पर तालिबान ने धावा बोला तो उन्हें अपने दो बच्चों को लेकर काबुल भागना पड़ा, जहां एक घर में पनाह मिली। मोबिना बताती हैं, जेहन में हर वक्त एक ही सवाल रहता है कि अब क्या होगा। बच्चे मेरी ओर देखते हैं तो मैं बच्चों की ओर। बस फिर एक दूसरे को गले लगाकर सभी रो पड़ते हैं। छिपे रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकती।
मोबिना की तरह ही काबुल में दूसरी जगह मुमताज अपने परिवार के साथ कैद हैं। उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे। आंतकी गुट के काबुल पर कब्जे के बाद 15 अगस्त को मुमताज परिवार के साथ हवाईअड्डे की ओर भागे थे। वहां अराजकता और गोलियों की आवाज सुनकर वापस घर लौटना पड़ा। तब से ही कोई भी अपार्टमेंट के बाहर नहीं निकला है। उनकी बेचैनी तब ज्यादा बढ़ गई, जब पड़ोसी ने बताया कि कुछ बंदूकधारी उनकी तलाश कर रहे हैं। 26 वर्षीय मुमताज का कहना है, खाने-पीने से लेकर जरूरी सामान के लिए भी पूरी तरह पड़ोसियों पर निर्भर हैं।
दोस्तों के भेजे पैसों से गुजारा
तालिबान का डर इतना है कि मोबिना और मुमताज जैसे लोग सिर्फ अपना पहला नाम ही बता रहे हैं। मोबिना ने जहां पनाह ले रखी है, वहां 25 और लोग भी छिपे हुए हैं। इनमें ज्यादातर नागरिक समाज, महिला अधिकार संगठन और विकास कार्यों में लगे रहे लोग हैं।
मोबिना ने बताया कि कुछ दोस्तों ने पैसे भिजवाएं हैं, जिनसे खाने का इंतजाम हो रहा है। सड़कों पर अकेली महिलाओं को रोका जाने लगा है और उनके पुरुषों के बारे में पड़ताल की जा रही है।
बचकर निकली हुमैरा, पर साथियों की चिंता
अफगान महिला मीडिया नेटवर्क की सह-संस्थापक हुमैरा सादेक ने बताया कि उन्हें हवाईअड्डे पर पहुंचने के लिए जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष करना पड़ा। सादेक का कहना है, जो महिलाएं तालिबान की रडार पर हैं, उन्हें काबुल से न निकलने की हिदायत दी जा रही है।
लौटनी लगी तालिबानी बंदिशें: इस बीच, बताया जा रहा है कि शेर-ए-पोल प्रांत में तालिबान ने संगीत, पश्चिमी कपड़ों और महिलाओं के सार्वजनिक स्थल से जुड़े कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनका उल्लंघन करने पर पिटाई की सजा निर्धारित की गई है।

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