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यहां उसने अफगान लोगों को ट्रेनिंग देने के भी कई कार्यक्रम चलाए हैं।
पेंटागन ने कहा है कि तालिबान द्वारा निरंतर आगे बढ़ना इस बात का सबूत है कि उसके नेताओं का मानना है कि वे बातचीत में शामिल होने के बजाय बल द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर सकते हैं। पेंटागन की तरफ से यह बयान तब आया है जब अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट ने बताया है कि तालिबान 30 दिनों में काबुल को अलग कर सकता है और संभवतः इसे 90 दिनों के भीतर अपने कब्जे में ले सकता है।
अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बुधवार को प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, 'तालिबान लगातार आगे बढ़ रहा है और जिला और प्रांतीय केंद्रों पर नियंत्रण कर रहा है जो स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि उनका मानना है कि बल के माध्यम से, क्रूरता के माध्यम से, हिंसा के माध्यम से, उत्पीड़न के माध्यम से, शासन हासिल करना संभव है।' उन्होंने कहा कि वास्तव में तालिबान को यह सब बातचीत के माध्यम से सफल होता नहीं नजर आ रहा।
प्रवक्ता तालिबान के बढ़ते हमले और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को ठीक करने में अमेरिका की भूमिका के बारे में सवालों का जवाब देते हुए कहते हैं, 'हम अफगानिस्तान में स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हम बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को लेकर सतर्क हैं। और हमारा ध्यान अभी उस क्षेत्र में अफगान बलों का समर्थन करने पर है जहां और जब संभव हो हम आसमान से हमला से कर सकते हैं, साथ ही साथ अपने ड्रॉडाउन को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से पूरा कर सकते हैं।'
उन्होंने कहा कि यह मुख्य रूप से अफगान बलों पर निर्भर है कि वे देश पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए उनके लिए उपलब्ध संसाधनों और लाभों का उपयोग करें।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान में पिछले कई वर्षो से भारत की रचनात्मक भूमिका सराहनीय है। भारत ने अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे के विकास और स्थिरता लाने के लिए के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जान किर्वी ने कहा था कि भारत की अफगानिस्तान के विकास में भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। भारत ने यहां के विकास कार्यो में पूरा योगदान देने के साथ ही कई परियोजनाओं को सफलता से पूरा कर बेहतर अफगानिस्तान बनाने में योगदान दिया है। यहां उसने अफगान लोगों को ट्रेनिंग देने के भी कई कार्यक्रम चलाए हैं।
Neha Dani
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