![शांति वार्ता से अस्थायी उम्मीदें हो सकती पूरी...लेकिन समाधान नहीं: अब्दुल्ला शांति वार्ता से अस्थायी उम्मीदें हो सकती पूरी...लेकिन समाधान नहीं: अब्दुल्ला](https://jantaserishta.com/h-upload/2020/10/10/821706-varta.webp)
एक पक्ष दूसरे पर नहीं हो सकता हावी-अब्दुल्ला
इसके साथ ही पत्रकारों ने पूछा कि अगर अमेरिका अफगान शांति प्रक्रिया को छोड़ देता तो इसका प्रभाव अफगानिस्तान पर पड़ेगा? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका समय से पहले अगर शांति समझौते से पीछे हट जाता है तो इससे अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि एक पक्ष दूसरे पर हावी हो जाएगा।
भारत-चीन विवाद भी दिया जवाब
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी मुद्दे को सौहार्दपूर्वक हल करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी देश की बीच पैदा हुए तनाव का असर अफगानिस्तान पर भी विपरीत पड़ता है। दरअसल, पत्रकारों द्वारा भारत और चीन के बीच उपजे तनाव के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न में यह जवाब दिया।
बता दें कि इससे पहले अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के मकसद से चल रही महत्वपूर्ण शांति वार्ता के मसले पर चर्चा की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बातचीत के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत की। हाल के घटनाक्रमों पर विचार साझा किए। भारत एक पड़ोसी के तौर पर फगानिस्तान में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
जानकारी के लिए बता दें कि अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी से मुलाकात की थी। बैठक के बाद अब्दुल्ला ने ट्वीट कर बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया का भारत की ओर से समर्थन जारी रखने का भरोसा दिया है। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि मोदी ने भारत-अफगानिस्तान संबंधों को और मजबूती देने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दोहराया। इससे एक दिन पहले अब्दुल्ला ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भी वार्ता की थी।