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इस इलाज को लागू करने से पहले और ज्यादा शोध की जरूरत है।
बॉन: दुनियाभर में करोड़ों लोग अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से कई लोग लंबे समय तक चलने वाले कोरोना के दुष्प्रभावों से जूझ रहे हैं। इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है। अब एक चौंका देने वाला खुलासा हुआ है कि लॉन्ग कोविड से जूझ रहे मरीज 'खून की धुलाई के इलाज' की तलाश कर रहे हैं। 'खून की धुलाई' इलाज कराने की इच्छा रखने वाले मरीज यूरोपीय देशों साइप्रस, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने मरीजों की सुरक्षा को लेकर कड़ी चेतावनी दी है।
बीएमजे की रिपोर्ट के मुताबिक इस इलाज को करने के लिए लंबी लंबी सूइयों को नसों में चुभोया जाता है और खून को वसा और अन्य भड़काने वाले प्रोटीन को निकालकर फिल्टर किया जाता है। इस इलाज को Apheresis कहा जाता है। जर्मनी में वसा के असंतुलन को खत्म करने के लिए जर्मनी में खून से नहाने के इलाज को अंतिम विकल्प के रूप में जर्मन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी की ओर से मंजूरी दी गई है।
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'इलाज का क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया गया'
ब्रिटेन में मेडिकल डायरेक्टर बेवर्ली हंट ने कहा, 'मैं इस बात से चिंतित हूं कि इन मरीजों को वो इलाज ऑफर किए गए हैं जिसे आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से आकलन नहीं किया गया है। इसका क्लिनिकल ट्रायल भी नहीं किया गया है।' उन्होंने कहा कि इस स्थिति में इलाज उन्हें मदद कर सकता है या नहीं कर सकता है। चिंता की बात यह है कि इससे नुकसान का खतरा है। रिपोर्ट में गिट्टे बोमीस्टर के हवाल से कहा गया है कि उन्हें साल 2020 में कोरोना हुआ था लेकिन उसके असर बने हुए थे।
इससे निपटने के लिए उन्होंने अपनी जमा की गई आधी कमाई को खून से नहाने पर लुटा दिया लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई खास सुधार नहीं हुआ। वह कहते हैं कि इस तरह के प्रयोगात्मक प्रकृति वाले इलाज पर उन्हें जोर देना चाहिए। वह भी तब जब यह बहुत खर्चीला हो। इलाज शुरू कराने से पहले ही मुझे इसका अहसास हो गया था कि खून से नहाने का परिणाम अनिश्चित है लेकिन वहां क्लिनिक में मौजूद हर व्यक्ति इसको लेकर आशान्वित था और उसे ठीक होने की उम्मीद थी। विशेषज्ञों ने कहा है कि इस इलाज को लागू करने से पहले और ज्यादा शोध की जरूरत है।
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