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जर्मनी में आज होने वाला चुनाव देश में 16 साल बाद चांसलर एंगेला मर्केल के नेतृत्व में यूरोपीय संघ के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की दिशा तय करेगा।
जर्मनी में आज होने वाला चुनाव देश में 16 साल बाद चांसलर एंगेला मर्केल के नेतृत्व में यूरोपीय संघ के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की दिशा तय करेगा। उनकी पार्टी अपने वामपंथी प्रतिद्वंद्वियों के आक्रामक प्रचार से बचने के लिए हाथ-पैर मार रही है। उधर, पर्यावरणविद ग्रीन्स भी सत्ता के एक हिस्से पर नजर गढ़ाए हुए हैं। इस बीच, चुनाव पूर्व हुई बहस में सभी दल अंतिम बार एक-दूसरे से भिड़े।
8.3 करोड़ की आबादी वाले देश में करीब 6.04 करोड़ लोग नई संसद का चुनाव करेंगे। नई संसद में ही तय होगा कि सरकार का अगला प्रमुख कौन होगा। हाल ही में हुए स्थानीय चुनाव में मर्केल की पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था। इसलिए उन्हें इस बार मतदाताओं के बीच सबसे ज्यादा भरोसा बनाना पड़ेगा।
अंतिम चुनाव से पहले अंतिम बहस में भिड़े प्रत्याशी
इस बीच, टीवी पर हुई अंतिम बहस में चांसलर पद के प्रत्याशियों में ग्रीन्स पार्टी की अनालेना बेयरबॉक, सोशल डेमोक्रटिक पार्टी (एसपीडी) के ओलाफ शॉल्त्स और क्रिश्चियन डेमोक्रटिक पार्टी (सीडीयू) के आर्मिन लाशेट खासतौर पर शामिल हुए। सीएसयू नेता, जिन्होंने खुद को चांसलर उम्मीदवार के तौर पर सामने रखा, वे लाशेट की टीम में भी जुड़ सकते हैं, जिनका चुनावी अभियान अच्छा नहीं चल रहा है।
पार्टियों को करने पड़ेंगे कड़े समझौते
अंतिम ओपिनियन पोल के मुताबिक चुनाव के नतीजे काफी करीबी होंगे और साफ-साफ इनके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। साथ ही नतीजों के बाद संभावित गठबंधनों को लेकर भी काफी अनिश्चितता है।
टीवी चैनल जेडडीएफ की ओर से गुरुवार को आए नए आंकड़ों में एसपीडी 25 फीसदी मतों के साथ सबसे आगे है, सीडीयू/सीएसयू 23 फीसदी के साथ इससे थोड़े ही पीछे हैं, ग्रीन्स 16.5 फीसदी मतों के साथ तीसरे नंबर पर हैं। इसके बाद एफपीडी 11 फीसदी, एएफडी 10 फीसदी और लेफ्ट पार्टियों को 6 फीसदी मत मिले हैं। स्पष्ट संकेत हैं कि पार्टियों को कड़े समझौते करने पड़ेंगे।
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