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अफगानिस्तान में बच्चों को बेचकर मां-बाप कर रहे गुजारा, वित्तीय मदद पर लगी है रोक

Neha Dani
31 Dec 2021 10:06 AM GMT
अफगानिस्तान में बच्चों को बेचकर मां-बाप कर रहे गुजारा, वित्तीय मदद पर लगी है रोक
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उनकी सबसे बड़ी बेटी 12 साल की है, उसकी सबसे छोटी और छठी बेटी सिर्फ दो महीने की है.

पश्चिमी अफगानिस्तान में सूखे और युद्ध से विस्थापित लोगों की विशाल बस्ती में एक महिला अपनी बेटी को बचाने के लिए लड़ रही है. अजीज गुल के पति ने अपनी 10 साल की बच्ची को बिना उसे बताए शादी के लिए बेच दिया ताकि इसके एवज में मिले पैसों से वह अपने पांच बच्चों का भरण-पोषण कर सके. गुल के पति ने कहा कि बाकी की जान बचाने के लिए उसे एक की बलि देनी पड़ी.

पैसों के लिए मोहताज लोग
एपी एजेंसी की खबर के अनुसार, अफगानिस्तान में बेसहारा लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. पैसों के लिए मोहताज ये लोग ऐसे कई निर्णय ले रहे हैं जो देश में बदहाली का संकेत दे रहे हैं. सहायता पर निर्भर अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही चरमरा रही थी जब तालिबान ने अगस्त के मध्य में अमेरिका और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच सत्ता पर कब्जा कर लिया था.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विदेशों में अफगानिस्तान की संपत्ति को जब्त कर लिया और वित्तीय मदद रोक दी. युद्ध, सूखे और कोरोना वायरस महामारी से पीड़ित देश के लिए परिणाम विनाशकारी रहे हैं. कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं दिया गया है. कुपोषण सबसे चिंताजनक है और सहायता संगठनों का कहना है कि आधी से अधिक आबादी खाद्यान्न संकट का सामना कर रही है.
देश में स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है

अफगानिस्तान में सहायता संगठन 'वर्ल्ड विजन' के राष्ट्रीय निदेशक असुंथ चार्ल्स ने कहा कि इस देश में स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, विशेष रूप से बच्चे इससे सबसे अधिक पीड़ित हैं. चार्ल्स पश्चिमी शहर हेरात के पास विस्थापित लोगों के लिए स्वास्थ्य क्लीनिक चलाते हैं. उन्होंने कहा कि आज मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि कई परिवार दाने-दाने को मोहताज हैं और परिवार के अन्य सदस्यों को खिलाने के लिए वे अपने बच्चों को भी बेचने को तैयार हैं.
इस क्षेत्र में बहुत कम उम्र की लड़कियों का विवाह आम बात है. दूल्हे का परिवार इस सौदे के बदले लड़की के परिवार को पैसे देता है और 15 साल की होने तक बच्ची आमतौर पर अपने माता-पिता के साथ रहती है. कई लोग अपने बेटों को भी बेचने की कोशिश कर रहे हैं.
बेटी को बेचे जाने का विरोध कर रही है मां
इस पितृसत्तात्मक, पुरुष-प्रधान समाज में गुल अपनी बेटी को बेचे जाने का विरोध कर रही हैं. गुल खुद 15 साल में ब्याही गई थीं और अब वह अपनी बेटी कांडी गुल के साथ यह अन्याय नहीं होने देना चाहतीं. गुल कहती हैं कि अगर उनकी बेटी को उनसे छीन लिया गया तो वह खुद को मार डालेंगी. गुल के पति ने बताया कि उसने कांडी को बेच दिया है जिस पर उन्होंने अपने पति से कहा कि ऐसे करने से मरना बहुत बेहतर था.
गुल ने अपने भाई और गांव के बुजुर्गों को इकट्ठा किया और उनकी मदद से कांडी के लिए इस शर्त पर तलाक हासिल किया कि वह अपने पति को मिले 100,000 अफगानी (लगभग 1,000 डॉलर) का भुगतान करेंगी, जो उनके पास नहीं है. घटना के बाद से गुल का पति फरार है. तालिबान सरकार ने हाल ही में जबरन विवाह पर प्रतिबंध लगाया है.
बेटी को अपने पास नहीं रख सकती तो मैं खुद को मार डालूं.
गुल ने कहा कि मैं बहुत निराश हूं. कभी-कभी ख्याल आता है कि अगर मैं इन लोगों को भुगतान करने के लिए पैसे नहीं दे सकती और अपनी बेटी को अपने पास नहीं रख सकती तो मैं खुद को मार डालूं. लेकिन फिर दूसरे बच्चों के बारे में सोचती हूं कि मेरे जाने के बाद इनका क्या होगा? उन्हें कौन खिलाएगा? उनकी सबसे बड़ी बेटी 12 साल की है, उसकी सबसे छोटी और छठी बेटी सिर्फ दो महीने की है.



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