अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने आखिरकार माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर को खरीद लिया। यह डील फाइनल होते ही सीईओ पराग अग्रवाल समेत तीन बड़े अधिकारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। मस्क के आते ही तीन अधिकारियों की छुट्टी भले ही कर दी गई हो, लेकिन इन तीनों को मिलने जा रही बड़ी रकम से ट्विटर के नए मालिक को झटका लगा है।पहले से दी गई इक्विटी और विभिन्न भुगतानों के तहत तीनों को मिलाकर 100 मिलियन डॉलर (823 करोड़ रुपये) से अधिक मिलेंगे।
ब्लूमबर्ग न्यूज द्वारा किए गए कैलकुलेशन के अनुसार, पराग अग्रवाल, जिन्होंने एक साल से भी कम समय पहले मुख्य कार्यकारी अधिकारी भूमिका में कदम रखा था, को लगभग 50 मिलियन डॉलर (तकरीबन 412 करोड़ रुपये) मिलेंगे। चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर नेड सहगल और कानूनी, नीति और ट्रस्ट के प्रमुख विजया गड्डे क्रमशः 37 मिलियन डॉलर और 17 मिलियन डॉलर की रकम पाएंगे।
हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम भी भरेगी कंपनी
कई अन्य बड़ी सार्वजनिक कंपनियों की टॉप लीडरशिप की ही तरह, यदि ट्विटर को बेचा जाता है और इस प्रक्रिया के दौरान नौकरी चली जाती है, तो पराग अग्रवाल और उनके अन्य कुछ अधिकारी एक साल के वेतन के बराबर इक्विटी के हकदार थे। ट्विटर को एक वर्ष के लिए अपने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को भी कवर करना होगा, जोकि प्रत्येक की राशि लगभग 31,000 डॉलर होगी।
ऐसे पैकेज पर होती रही है आलोचना
टॉप लीडरशिप को दिए जाने वाले इस तरह के पैकेजेस को लेकर कई बार कंपनियों को आलोचनाओं का भी शिकार होना पड़ता है, क्योंकि जब किसी कंपनी के मर्जर के बाद नॉर्मल कर्मचारियों की नौकरी जाती है, तब उन्हें इस तरह के पैकेज की सुविधाएं नहीं मिलती। उधर, इस तरह के पैकेजेस के पक्ष में बात रखने वालों का मानना है कि इससे एग्जीक्यूटिव्स शेयरहोल्डर्स के लिए सबसे बेहतर का चयन कर पाते हैं और इस सोच में नहीं रहते कि कहीं उन्हें रिप्लेस नहीं कर दिया जाए। 38 वर्षीय पराग अग्रवाल ट्विटर में पिछले लगभग एक दशक से काम कर रहे थे। हालांकि, पिछले ही साल उन्हें कंपनी का सीईओ नियुक्त किया गया था। कंपनी इस डील को 54.20 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से देख रही थी, भले ही मस्क को मैनेजमेंट पर विश्वास न रहा हो।