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पंजशीर के शेर का तालिबान को दो टूक, नहीं करूंगा सरेंडर

HARRY
23 Aug 2021 1:26 PM GMT
पंजशीर के शेर का तालिबान को दो टूक, नहीं करूंगा सरेंडर
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अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 33 प्रांतों पर तालिबान के लड़ाकों ने पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है. अब सिर्फ पंजशीर ही इकलौता प्रांत है, जहां पर तालिबान का राज नहीं है, लेकिन वहां पर भी उसने अपनी दस्तक दे दी है. बीते दिन तालिबान के कई सौ लड़ाके पंजशीर पहुंच गए थे. पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद मसूद से तालिबान को कड़ी टक्कर मिल रही है. मसूद और खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के खिलाफ रणनीति बना ली है. हालांकि, तालिबान ने अहमद मसूद को सरेंडर करने के लिए चार घंटों का समय दिया है, लेकिन उन्होंने दो टूक ऐसा करने से इनकार कर दिया.

तालिबान द्वारा चार घंटों का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद अहमद मसूद ने कहा है कि वह सरेंडर नहीं करेंगे. उन्होंने कहा है कि हमने सोवियत संघ की सेना से टक्कर ली है और अब तालिबान की सेना से ले रहे हैं. मसूद के पिता अहमद शाह मसूद भी अफगानिस्तान के एंटी तालिबान और एंटी सोवियत नेता थे. उन्होंने सोवियत संघ और तालिबान के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी. तालिबान और अलकायदा ने साजिश रचकर अहमद शाह मसूद को 9/11 पर हुए हमले से ठीक पहले मार दिया था. इसके बाद उनके बेटे अहमद मसूद अब तालिबान को खत्म करने के लिए जी-जान से अपने पिता की तरह ही लगे हुए हैं.

मसूद को पंजशीर की रहने वाली बड़ी आबादी का भी साथ मिल रहा है. अहमद मसूद ने कहा कि तालिबान का विरोध करने वाले सरकारी बलों ने विभिन्न प्रांतों से रैली की और पंजशीर घाटी के गढ़ में जमा हो गए हैं. इससे पहले गुरुवार को प्रकाशित वॉशिंगटन पोस्ट के एक ओपिनियन पीस में उन्होंने पश्चिम से समर्थन की अपील भी की थी. उन्होंने यह भी कहा है कि यदि तालिबान के साथ बातचीत विफल रहती है तो फिर युद्ध को किसी भी कीमत पर टाला नहीं जा सकता है. पंजशीर प्रांत में तकरीबन दस हजार की सेना तैनात कर दी गई है, जोकि तालिबानी लड़ाकों के साथ लोहा लेने के लिए पूरी तरह तैयार है.

तालिबान बोला- पंजशीर को घेर लिया, कर रहे बात

इस बीच, तालिबान ने दावा किया है कि उसके लड़ाकों ने पंजशीर घाटी को कई दिशाओं से पूरी तरह से घेर लिया है. उन्होंने बातचीत के जरिए से पूरे मुद्दे का हल निकालने के लिए कहा है. साथ ही मसूद से सरेंडर करने की भी अपील की गई है. उधर, अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अफगानिस्तान की बड़ी आबादी तालिबान पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं कर रही है. काबुल एयरपोर्ट पर रोजाना भारी भीड़ इकट्ठी हो रही है, जो जल्द से जल्द देश छोड़कर निकल जाना चाहते हैं. तालिबान अफगानिस्तान के नागरिकों को देश में ही रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है.


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