x
आज ही के दिन पंजाबी नए साल की शुरुआत भी होती है.
TLP के नेता साद हुसैन रिजवी की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में प्रदर्शन जारी है, जिसके चलते सिख जत्था सोमवार से लाहौर में फंसा हुआ था. हालांकि अब सिख श्रद्धालुओं को आगे जाने के लिए सिक्योरिटी क्लियरेंस दे दी गई है. ये अभी लाहौर में हैं जो पंजा साहिब तक एस्कोर्ट किए जाएंगे.
सोमवार को बैसाखी के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए करीब 1000 श्रद्धालुओं का सिख जत्था पाकिस्तान गया था. उनके कार्यक्रम के अनुसार उन्हें पंजा साहिब गुरुद्वारा जाना था, लेकिन पाकिस्तान के हालात के चलते वो यात्रा नहीं कर पा रहे और लाहौर के गुरुद्वारा डेरा साहिब में फंसे हुए थे.
इस मामले पर भारत ने उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी. उच्चयोग लगातार पाक विदेश मंत्रालय और ETPB से संपर्क में था. वहीं खराब हालात के चलते उच्चयोग के अधिकारी श्रद्धालुओं तक नहीं पहुंच पाए हैं. भारतीय उच्चयोग के सूत्रों ने आजतक से कहा कि उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान सरकार से कहा गया है.
क्या है बैसाखी का महत्व?
देशभर में 13 अप्रैल को यानी आज बैसाखी का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन को नव वर्ष की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान और प्रकृति को धन्यवाद करते हैं. बैसाखी का त्योहार सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है.
असम में बिहू , बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु के नाम से लोग इसे मनाते हैं. हालांकि इस बार कोरोना के चलते लोग सावधानी पूर्वक सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए बैसाखी के पर्व को मनाएंगे.
बैसाखी, दरअसल सिख धर्म की स्थापना और फसल पकने के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. इस महीने रबी फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाती है और पकी हुई फसल को काटने की शुरुआत भी हो जाती है. ऐसे में किसान खरीफ की फसल पकने की खुशी में यह त्योहार मनाते हैं. 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था. आज ही के दिन पंजाबी नए साल की शुरुआत भी होती है.
Next Story