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तबाही मचाने वाले रूस के नए जनरल से यूक्रेन में फैली दहशत, क्रूरता के मशहूर हैं किस्‍से

Rounak Dey
15 Oct 2022 2:01 AM GMT
तबाही मचाने वाले रूस के नए जनरल से यूक्रेन में फैली दहशत, क्रूरता के मशहूर हैं किस्‍से
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नाटो देशों ने हथियार और ट्रेनिंग दी है.

यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में पुतिन जनरल सर्गेई सुरोविकिन कमान सौंपी है. उन्हें काफी सख्त सैन्य नेता माना जाता है. क्रीमिया पुल पर हमले के कुछ घंटे बाद उनकी नियुक्ति की घोषणा की गई थी. नए कमांडर के काम के पहले दिन यूक्रेन को रूसी मिसाइलों के हमलों से दहलते पूरी दुनिया ने देखा. यह पिछले कुछ महीनों में हमलों की सबसे व्यापक श्रृंखला थी.

56 वर्षीय सर्गेई सुरोविकिन का जन्म साइबेरिया में हुआ था. वह जनरल आर्मगेडन (यानी तबाही वाले जनरल) के नाम से भी मशहूर हैं. अफ़ग़ानिस्तान, चेचेन्या, ताजिकिस्तान और सीरिया जैसे भीषण युद्धों में उनकी क्रूरता और बर्बरता के किस्से मशहूर रहे हैं.
ऐसा रहा है कि सुरोविकिन का करियर
-कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चेचेन्या के युद्ध में सुरोविकिन नेसार्वजनिक रूप से कहा था कि "एक मृत सैनिक के बदले तीन चरमपंथियों" को मारा जाएगा.
-बताया जाता है कि 2017 में सीरिया में मौजूद सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व सुरोविकिन के हाथ में था. उन्होंने ज़्यादातर क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया था.
-सितंबर 2017 में वह रूसी एयरोस्पेस फ़ोर्स का कमांडर इन चीफ़ नियुक्त हुए. सीरिया के शहर अलेप्पो को तबाही मचाने वाले हवाई हमलों के लिए उन्हें ही जिम्मेदार माना जाता है.
-सुरोविकिन ने सीरिया में भूमिका निभाई उसके लिए उन्हें 'रूसी संघ के हीरो' अवॉर्ड से नवाजा गया.
-सुरोविकिन 1991 में जब रूस (तब सोवियत संघ) में तख़्तापलट के दौरान लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की हत्या में शामिल रहे हैं. इस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई थी लेकिन तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के आदेश पर उन्हें रिहा कर दिया गया.
कितना प्रभाव डालेंगे सुरोविकिन?
माना जा रहा है कि रूस में ऐसे कई तत्व हैं जो यूक्रेन के खिलाफ कड़े और आक्रामक कदम उठाने की वकालत कर रहे हैं. सुरोविकिन को कमान सौंपे जाने को इस मांग से जोड़कर देखा जा रहा.
हालांकि सुरोविकिन पहले से ही यूक्रेन के 'दक्षिण' में सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व कर रहे थे. यही वजह है कि कुछ जानकार मानते हैं कि अभी यह कहना है कि जल्दबाजी होगी कि सुरोविकिन के हाथ में युद्ध की कमान आ जाने से बड़ा बदलाव होगा क्योंकि यूक्रेनी सेना रूस का डटकर मुकाबला कर रही है और उसे नाटो देशों ने हथियार और ट्रेनिंग दी है.

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