विश्व

कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन को लेकर दुनिया में फैली दहशत, ब्रिटेन बेल्जियम इजरायल हांगकांग समेत जर्मनी में मिले मामले, उड़ानों पर रोक, सीमाएं सील

Renuka Sahu
28 Nov 2021 1:40 AM GMT
कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन को लेकर दुनिया में फैली दहशत, ब्रिटेन बेल्जियम इजरायल हांगकांग समेत जर्मनी में मिले मामले, उड़ानों पर रोक, सीमाएं सील
x

फाइल फोटो 

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन को लेकर विश्व भर में दहशत फैल गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन को लेकर विश्व भर में दहशत फैल गई है। कोरोना के अब तक के सबसे संक्रामक वैरिएंट बताए जा रहे ओमीक्रोन को रोकने के लिए सक्रियता बढ़ गई है। तमाम देशों की तरफ से उपाय किए जाने लगे हैं। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिणी अफ्रीकी देशों के लिए उड़ानों पर पाबंदी लगाने वाले देशों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि नया वैरिएंट मौजूदा वैक्सीन के असर को बेअसर कर सकता है।

उड़ानों पर लगाई रोक
यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के साथ ब्रिटेन ने सात अफ्रीकी देशों के लिए उड़ानों पर एक दिन पहले ही पाबंदी लगा दी थी। अब आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, ईरान, जापान थाइलैंड, और अमेरिका समेत अन्य कई देश भी इसमें शामिल हो गए हैं।
डब्ल्यूएचओ ने की यह अपील
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी राष्ट्रों से जल्दबाजी में कोई भी प्रतिबंधात्मक कदम नहीं उठाने की अपील की है, लेकिन उसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है।
कई देशों में मिले मामले
अफ्रीका महाद्वीप से बाहर ओमीक्रोन को फैलने से रोकने के लिए तमाम उपाए किए जा रहे हैं लेकिन जो सुबूत मिल रहे हैं उसे लग रहा है कि यह वैरिएंट पहले ही कई देशों में फैल चुका है। बेल्जियम, हांगकांग और इजरायल में इसके मामलों की पुष्टि हो चुकी है। जर्मनी में भी एक संदिग्ध के पाए जाने की खबर है। नीदरलैंड में भी दक्षिण अफ्रीका से दो उड़ानों से आए 61 यात्रियों के कोरोना से संक्रमित पाए जाने के बाद नए वैरिएंट की पुष्टि के लिए आगे की जांच कराई जा रही है।
सीमाएं की जा रहीं सील
हालांकि अभी ओमीक्रोन को लेकर कोई ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन इसे दुनिया भर में भारी तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट से भी अधिक संक्रामक बताया जा रहा है इसलिए लगभग सभी देशों की तरफ से एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। दक्षिणी अफ्रीकी देशों से जिन देशों की सीमाएं लगती हैं उन्होंने उन्हें सील करना शुरू कर दिया है।
नहीं बरतें लापरवाही
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खेत्रपाल सिंह ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से निगरानी बढ़ाने, स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करने कहा है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कहा है कि ओमीक्रोन के सामने आने के बाद भी वह दक्षिण अफ्रीका से अपने कर्मचारियों को नहीं निकालेगा।
बाइडन ने कही थी यह बात
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को कहा था, 'ऐसा लगता है कि यह तेजी से फैल रहा है।' उन्होंने सोमवार से दक्षिण अफ्रीका समेत आठ अफ्रीकी देशों से लोगों के आने पर पाबंदी लगाने की घोषणा की है। इन देशों में नामीबिया, जिम्बाब्वे, बोत्सवाना, लेसोथो और इस्वातिनी शामिल हैं।
अफ्रीका में तेजी से फैल रहा यह वायरस
वहीं अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. एंटनी पासी ने कहा है कि ओमीक्रोन दक्षिण अफ्रीका में तेजी से फैल रहा है और अमेरिकी वैज्ञानिक उस देश में अपने सहयोगियों के साथ नए स्वरूप की जांच तथा यह पता लगाने के लिए सक्रियता से बात कर रहे हैं कि यह एंटीबाडी को भेदता है या नहीं।
वैक्सीन के प्रभावी होने की उम्मीद
एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन विकसित करने वाले आक्सफोर्ड वैक्सीन समूह के प्रोफेसर एंड्र्यू पोलार्ड ने उम्मीद जताई है कि मौजूदा वैक्सीन ओमीक्रोन से गंभीर बीमारी को रोकने में प्रभावी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके ज्यादातर म्यूटेशन उन्हीं क्षेत्रों में हुए हैं जहां पहले के वैरिएंट के हुए थे। यह बताता है कि भले ही ज्यादा म्यूटेशन हुए, जैसे अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वैक्सीन गंभीर बीमारी को रोकने में प्रभावी रहीं। टीकाकरण वाली आबादी में इससे भारी तबाही की आशंका नहीं है।
वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां भी रख रहीं नजर
कोरोना वैक्सीन बनाने वाली सभी प्रमुख कंपनियां भी नए वैरिएंट पर नजर रख रही हैं। कंपनियों ने नए वैरिएंट पर शोध शुरू कर दिया है। उन्हें अभी और आंकड़ों की जरूरत है और उसके बाद वह यह तय करने में सक्षम होंगी कि मौजूदा वैक्सीन में बदलाव की जरूरत है या नहीं।
अफ्रीका में कम टीकाकरण भी ज्यादा प्रसार का कारण
अफ्रीकी देशों में अभी तक मात्र छह प्रतिशत लोगों का ही कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण हो सका है। सबसे जोखिम वाले समूह में आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों और लाखों दूसरी आबादी को अभी तक टीके की एक डोज तक नहीं लग पाई है। अफ्रीकी देशों में इस नए वैरिएंट के तेजी से फैलने की एक मुख्य वजह यह भी है।
Next Story