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US के इस विधेयक से पाकिस्तान में घबराहट, रिकॉर्ड स्तर पर गिरा रुपया

Renuka Sahu
30 Sep 2021 4:36 AM GMT
US के इस विधेयक से पाकिस्तान में घबराहट, रिकॉर्ड स्तर पर गिरा रुपया
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फाइल फोटो 

अमेरिका में तालिबान और उसका साथ देने वाली सरकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए मंगलवार को विधेयक पेश किया गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।

US के इस विधेयक से पाकिस्तान में मची है खलबली, रिकॉर्ड स्तर पर गिरा रुपया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (AP)पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (AP)
'अफगानिस्तान काउंटर टेररिज्म, ओवरसाइट एंड एकाउंटेबिलिटी एक्ट' को सीनेटर जिम रिश ने पेश किया. वह सीनेट विदेश संबंध समिति के सदस्य हैं. विधेयक में विदेश मंत्री से एक रिपोर्ट की मांग की गई है कि 2001 से 2020 के बीच तालिबान (Taliban) को समर्थन देने में पाकिस्तान (Pakistan) की भूमिका, जिसके कारण अफगानिस्तान (Afghanistan)की सरकार गिरी.
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LAST UPDATED : SEPTEMBER 30, 2021, 09:51 IST
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इस्लामाबाद. अमेरिका (USA) में तालिबान (Taliban) और उसका साथ देने वाली सरकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए मंगलवार को विधेयक पेश किया गया है. जिसका असर पाकिस्तान (Pakistan) में अभी से दिखना शुरू हो गया है. बुधवार को पाकिस्तान में स्टॉक में 3 फीसदी की गिरावट आई. पाकिस्तानी रुपया (Pakistan Rupee) रिकॉर्ड स्तर पर लुढक गया. अमेरिका के 22 रिपब्लिकन सीनेटर के एक समूह ने तालिबान और उसका समर्थन करने वाली सभी विदेशी सरकारों पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान वाला विधेयक पेश किया है.
'अफगानिस्तान काउंटर टेररिज्म, ओवरसाइट एंड एकाउंटेबिलिटी एक्ट' को सीनेटर जिम रिश ने पेश किया. वह सीनेट विदेश संबंध समिति के सदस्य हैं. विधेयक में विदेश मंत्री से एक रिपोर्ट की मांग की गई है कि 2001 से 2020 के बीच तालिबान को समर्थन देने में पाकिस्तान की भूमिका, जिसके कारण अफगानिस्तान की सरकार गिरी… साथ ही पंजशीर घाटी और अफगान प्रतिरोध के खिलाफ तालिबान के हमले में पाकिस्तान के समर्थन के बारे में उनका आकलन बताने के लिए कहा गया है.
विधेयक में कौन सी मांग की गई?
विधेयक में आतंकवाद का मुकाबला करने, तालिबान द्वारा कब्जा किए गए अमेरिकी उपकरणों के निपटान, अफगानिस्तान में तालिबान और आतंकवाद फैलाने के लिए मौजूद अन्य गुटों पर प्रतिबंध और मादक पदार्थों की तस्करी और मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए रणनीतियों की आवश्यकता की भी मांग की गई है. इसमें तालिबान पर और संगठन का समर्थन करने वाली सभी विदेशी सरकारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई है.
गलत तरीके से मान्यता चाहता है तालिबान
जिम रिश ने सीनेट के पटल पर विधेयक पेश करने के बाद कहा, 'हम अफगानिस्तान से अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन की बेतरतीब वापसी के गंभीर प्रभावों पर गौर करना जारी रखेंगे. ना जाने कितने ही अमेरिकी नागरिकों और अफगान सहयोगियों को अफगानिस्तान में तालिबान के खतरे के बीच छोड़ दिया गया. हम अमेरिका के खिलाफ एक नए आतंकवादी खतरे का सामना कर रहे हैं, वहीं अफगान लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों का हनन करते हुए तालिबान गलत तरीके से संयुक्त राष्ट्र से मान्यता चाहता है.'
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तालिबान ने समझौते का पालन नहीं किया
इस बीच, अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य जनरल ने कहा कि अफगानिस्तान पर अब शासन कर रहा तालिबान 2020 के दोहा समझौते का सम्मान करने में विफल रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संगठन अभी तक अल-कायदा से अलग नहीं हुआ है. 'यूएस ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ' के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा, 'दोहा समझौते के तहत, अमेरिका को तालिबान की कुछ शर्तों को पूरा करने पर अपनी सेना को वापस बुलाना शुरू करना था, जिससे तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार के बीच एक राजनीतिक समझौता हो पाए.'


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