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पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान का कहना है कि इमरान खान सरकार मीडिया अथॉरिटी बिल के जरिये मीडिया की आवाज दबाना चाहती है।
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान का कहना है कि इमरान खान सरकार मीडिया अथॉरिटी बिल के जरिये मीडिया की आवाज दबाना चाहती है। देश के मीडिया समूहों के विरोध के बावजूद पाकिस्तान मीडिया विकास प्राधिकरण (पीएमडीए) विधेयक को सरकार लाना चाहती है। इसकी तुलना बेरहम कानून से की गई है।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी पार्टियों के गठबंधन पीडीएम के प्रमुख ने कहा कि वह प्रेस की आजादी के संघर्ष में पत्रकार समुदाय का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र में हमेशा समृद्ध हुई है और आगे बढ़ी है। लेकिन, तानाशाह और सम्राट हमेशा वही पढ़ना-देखना चाहते हैं, जो उनके लिए उपयुक्त होता है।
विपक्षी नेता ने यह भी कहा कि एक राज्य संस्था थी, जो खुद को श्रेष्ठ मानती थी। उसे लगा कि पाकिस्तान में तानाशाही मानसिकता फल-फूल रही थी, जबकि लोकतंत्र में गिरावट तेज हो गई थी।
पत्रकारों पर 40 फीसदी ज्यादा बढ़े हमले
फ्रीडम नेटवर्क की सालाना प्रेस फ्रीडम-2021 रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मीडियाकर्मियों के खिलाफ हमलों और उत्पीड़न में वृद्धि के साथ पत्रकारिता करने के लिए सबसे जोखिम भरे स्थान के रूप में उभरा है। द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2020 और अप्रैल 2021 के बीच पत्रकारों सहित मीडिया और उसके जुड़े लोगों के खिलाफ हमलों एवं उल्लंघन के कम-से-कम 148 मामले सामने आए हैं। यह मई 2019 से अप्रैल 2020 के बीच दर्ज किए गए उल्लंघन के 91 मामलों से 40 फीसदी से अधिक है।
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