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पाकिस्तान की खुली पोल, पाक संविधान अ‍हमदिया को नहीं मानता मुस्लिम

Neha Dani
15 Feb 2021 5:31 PM GMT
पाकिस्तान की खुली पोल,  पाक संविधान अ‍हमदिया को नहीं मानता मुस्लिम
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अल्पसंख्यकों के हितों को लेकर भारत को सीख देने वाला पाकिस्तान एक बार फ‍िर बेनकाब हुआ है।

अल्पसंख्यकों के हितों को लेकर भारत को सीख देने वाला पाकिस्‍तान एक बार फ‍िर बेनकाब हुआ है। पाकिस्‍तान में अहमदिया मुसलमानों के साथ हो रहे भेदभाव और जुर्म उसके कथनी और करनी की एक और पोल खोलती है। रविवार को पेशावर में अहमदिया मुसलमान की हत्‍या कर दी गई। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन के मुताबिक पेशावर के बाजिदखेल इलाके में अहमदिया समुदाय के एक होम्‍योपैथिक डॉक्‍टर अब्‍दुल कादिर की इसलिए हत्‍या कर दी गई, क्‍योंकि वह अहमदिया थे। पाकिस्‍तान में यह अहमदिया समुदाय के लोगों की पहली हत्‍या नहीं है। पाकिस्तान में एक साल में यह पांचवी हत्या है। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के खिलाफ जुर्म की लंबी कहानी है। खास बात यह है कि उनको प्रताड़‍ित करने में पाकिस्तान हुकूमत भी बढ़चढ़ कर हिस्‍सा लेती है। आखिर कौन है अहमदिया मुसलमान। पाक‍िस्तान के मुस्लिम क्‍यों करते इन पर जुर्म। इन मुद्दों को उकेरती ये रिपोर्ट।

पाकिस्तान का संविधान अ‍हमदिया को नहीं मानता मुस्लिम
पाकिस्तान में 40 लाख अल्पसंख्यक अहमदी दहशत के साए में जी रहे हैं। उनको अपने ही देश में बेगाना बनकर रखा गया है। वह कई दशकों से घृणा और उल्‍फत में जी रहे है। इसके लिए कोई और नहीं बल्कि पाकिस्‍तान का संविधान जिम्‍मेदार है। पाकिस्‍तान का संविधान अहमदिया को मुसलमान नहीं मानता है। दरअसल, इस्‍लामिक कानून और इस्‍लामिक इतिहास की अपनी-अपनी समझ के आधार पर मुस्लिम समुदाय के लोग कई पंथों या फ‍िरकों में विभक्‍त हैं। इन्‍हीं फ‍िरकों में से एक अहमदिया भी है।

मिर्जा गुलाम अहमद को नबी का अवतार माना
हनफी इस्‍लामिक कानून का पालन करने वाले मुसलमानों का एक समुदाय अपने आप को अहमदिया कहता है। इस समुदाय की स्थापना मिर्जा गुलाम अहमद ने की थी। इस समुदाय के लोगों की मान्‍यता है कि मिर्जा गुलाम अहमद खुद नबी के ही अवतार थे। अहमदिया के मुताबिक वे कोई नई शरीयत अपने साथ नहीं लाए बल्कि पैगम्‍बर मोहम्‍मद की शरीयत का ही पालन करते हैं, लेकिन वह नबी का दर्जा रखते हैं। उधर, मुस्लिम संप्रदाय के अन्‍य पंथ इस पर यकीन रखते हैं कि मोहम्मद साहब के बाद अल्‍लाह की तरफ से दुनिया में भेजे गए दूतों का सिलसिला खत्‍म हो गया। इसी मत भिन्नता के कारण अन्‍य मुस्लिम समुदाय अहमदिया को मुस्लिम मानने से इन्‍कार करते रहे हैं।


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