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अफगानिस्तान में भारत की मदद को पाकिस्तान का अड़ंगा, रास्ता देने के लिए पड़ोसी देश ने रखी शर्ते

Renuka Sahu
30 Nov 2021 1:16 AM GMT
अफगानिस्तान में भारत की मदद को पाकिस्तान का अड़ंगा, रास्ता देने के लिए पड़ोसी देश ने रखी शर्ते
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फाइल फोटो 

भारत से अफगानिस्तान को मदद के तौर पर पांच लाख क्विंटल गेहूं और जीवनरक्षक दवाएं भेजने के लिए मार्ग देने की मजबूरी में घोषणा करने वाला पाकिस्तान अब आपूर्ति में अड़ंगे लगा रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत (India) से अफगानिस्तान (Afghanistan) को मदद के तौर पर पांच लाख क्विंटल गेहूं (Wheat) और जीवनरक्षक दवाएं (Life saving Drugs) भेजने के लिए मार्ग देने की मजबूरी में घोषणा करने वाला पाकिस्तान अब आपूर्ति में अड़ंगे लगा रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) द्वारा मार्ग देने की घोषणा करने और भारत सरकार को इस बाबत जानकारी देने के बाद पाकिस्तान सरकार ने शर्त रख दी है कि वाघा (अटारी) सीमा मार्ग से होकर जाने वाला माल पाकिस्तान की सीमा से लेकर अफगानिस्तान तक पाकिस्तानी ट्रकों में जाएगा।

अफगानिस्तान में न बने भारत के लिए सकारात्मक माहौल
भारत चाहता है कि उसके द्वारा भेजी जाने वाली सामग्री निर्बाध रूप से अफगानिस्तान पहुंचे और वहां पर कोई अंतरराष्ट्रीय एजेंसी आमजनों में उसका वितरण करे। पाकिस्तान यह भी प्रयास कर रहा है कि भारतीय सहायता सामग्री वाघा सीमा पर ही संयुक्त राष्ट्र के सहायता दल को मिल जाए और वहां से वह ले जाकर गेहूं और दवाएं अफगानिस्तान के लोगों को वितरित कर दे। इससे अफगानिस्तान में भारत को लेकर सकारात्मक माहौल नहीं बन पाएगा। उल्लेखनीय है कि जमीन से घिरे अफगानिस्तान के लिए भारत से कोई सीधा सड़क मार्ग नहीं है। सड़क के जरिये अफगानिस्तान जाने के लिए पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करना पड़ता है।
मानवीय सहायता भेजने में शर्त नहीं लगाना चाहिए- विदेश मंत्रालय
पांच लाख क्विंटल गेहूं की बड़ी मात्रा सड़क मार्ग से ही अफगानिस्तान जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के कहने पर पाकिस्तान ने भारतीय माल के लिए रास्ता देने की घोषणा तो कर दी लेकिन अब शर्ते बताकर उसमें अड़ंगा लगा रहा है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Baghchi) ने कहा है कि मानवीय सहायता भेजने पर शर्ते नहीं लगाई जानी चाहिए। सहायता को जल्द जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए प्रयास होने चाहिए। उल्लेखनीय है कि अगस्त में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान ने पूरी तरह कब्जा कर लिया था। तभी से वहां के हालात ठीक नहीं हैं।
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