
एक मीडिया रिपोर्ट में बोला गया है कि पाक की कैबिनेट ने अमेरिका के साथ एक नए सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने को चुपचाप स्वीकृति दे दी है। यह एक ऐसा कदम है जो दोनों राष्ट्रों के बीच सालों के तनावपूर्ण संबंधों के बाद द्विपक्षीय रक्षा योगदान में एक नयी आरंभ का संकेत देता है। इसके साथ ही पाक के लिए अमेरिका से सेना साजोसामान हासिल करने का रास्ता भी खुल सकता है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने कहा कि कैबिनेट ने एक सर्कुलेशन के माध्यम से पाक और अमेरिका के बीच संचार अंतरसंचालनीयता और सुरक्षा समझौता ज्ञापन, जिसे सीआईएस-एमओए के नाम से जाना जाता है, पर हस्ताक्षर करने को स्वीकृति दे दी।
दोनों राष्ट्रों ने आधिकारिक घोषणा नहीं की है
हालाँकि, समझौते पर हस्ताक्षर के संबंध में किसी भी राष्ट्र की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बारे में जानने के लिए केंद्रीय सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।
बैठक में जनरल असीम मुनीर ने भाग लिया
यह घटनाक्रम यूएस सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के प्रमुख जनरल माइकल एरिक कुरिला और पाक के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल के बीच एक बैठक के दौरान पाक और अमेरिका द्वारा रक्षा क्षेत्र सहित अपने द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने पर सहमति जताने के कुछ दिनों बाद आया है। आसिम मुनीर उस दिन बाद में आये।
पड़ोसी राष्ट्रों के साथ सेना संबंध
सीआईएस-एमओए वह बुनियादी समझौता है जिस पर संयुक्त राज्य अमेरिका अपने सहयोगियों और राष्ट्रों के साथ हस्ताक्षर करता है जिनके साथ वह करीबी सेना और रक्षा संबंध बनाए रखना चाहता है। यह अन्य राष्ट्रों को सेना उपकरण और हार्डवेयर की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग को कानूनी कवर भी प्रदान करता है। सीआईएस-एमओए पर हस्ताक्षर करने का मतलब है कि दोनों राष्ट्र संस्थागत तंत्र को बनाए रखने के लिए तैयार हैं।
समझौते की अवधि
पाकिस्तान के ज्वाइंट स्टाफ मुख्यालय और अमेरिकी रक्षा विभाग के बीच 15 वर्ष का समझौता पहली बार अक्टूबर 2005 में हस्ताक्षरित किया गया था और 2020 में खत्म हो गया। दोनों राष्ट्रों ने अब इस प्रबंध की फिर से पुष्टि की है जिसमें संयुक्त अभ्यास, संचालन, प्रशिक्षण, आधार और उपकरण शामिल हैं।
रिपोर्ट में वाशिंगटन के एक सूत्र के हवाले से बोला गया है कि सीआईएस-एमओए पर हस्ताक्षर से संकेत मिलता है कि अमेरिका आने वाले सालों में पाक को कुछ सेना हार्डवेयर बेच सकता है।
