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खाने-पीने की चीजों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज का भी बोझ काफी बढ़ गया है।
पाकिस्तान की माली हालत कितनी खराब हो चुकी है इसका अंदाजा चालू वित्तीय वर्ष में मई माह के व्यापारिक घाटे से पता चलता है। पिछले मई माह में यह 134 प्रतिशत बढ़ गया है। गत वर्ष इसी महीने में जहां यह 1.466 अरब डॉलर था वहीं अब ये बढ़कर 3.432 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसे लेकर पाकिस्तान में इमरान सरकार का विरोध और बढ़ गया है।
पाक अखबार डॉन ने देश के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि व्यापार घाटे की यह हालत निर्यात में कमी और आयात में वृद्धि की वजह से हुई है। मंत्रालय ने माना है कि व्यापारिक घाटा बढ़ने के साथ ही इमरान सरकार के सामने कई तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। उसे न सिर्फ अपने विदेशी खातों पर नियंत्रण रखने में मुश्किलें आ सकती हैं बल्कि आयात-निर्यात के बीच बढ़ती खाई को पाटना भी मुश्किल भरा हो सकता है।
इस घाटे को यदि रुपये में देखा जाए तो यह सालाना 125 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, यह व्यापारिक घाटा पहले करीब 32 अरब डॉलर से कम होकर 23 अरब डॉलर पर आ गया था। माना जा रहा है कि इन हालात में मौजूदा वित्त वर्ष में जून के खत्म होने तक चालू खाता घाटा चार अरब डॉलर से छह अरब डॉलर के बीच होगा जिससे अर्थव्यवस्था बिगड़ेगी।
भारत से कपास न लेने की जिद का विरोध
पाकिस्तान ने पहले भारत से कपास का आयात करने की योजना बनाई थी लेकिन बाद में उसे रोक दिया। इसका विरोध किया जा रहा है। इस रोक के चलते पाक को अन्य देशों का कपास काफी देर से मिल रहा है। समस्या यह है कि इसके चलते दूसरे देशों से लिए माल निर्यात के ऑर्डर पूरे नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में सरकार पर दबाव है कि वह भारत से कच्चा माल कम कीमत पर जल्द हासिल करने की कोशिश करे।
आर्थिक हालात बेहद खराब
पाकिस्तान में पेट्रोलियम, गेहूं, सोयाबीन, केमिकल, फर्टिलाइजर और वैक्सीन बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है। जबकि निर्यात खत्म हो रहा है। इस कारण इमरान सरकार के दौर में हालात और भी बिगड़ गए हैं। देश में जहां महंगाई दर लगातार बढ़ी है वहीं विकास ठप है। खाने-पीने की चीजों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज का भी बोझ काफी बढ़ गया है।
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