x
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन फिर टल गया है. इस बीच तालिबान के निमंत्रण पर पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल काबुल पहुंचा है. इस प्रतिनिधिमंडल में अधिकारियों के साथ ISI चीफ जनरल फैज हामिद भी शामिल है. सरकार के गठन से पहले पाकिस्तान से तालिबान का ऐसा नाता कई तरह के सवाल खड़े करने वाले हैंं.
वैसे तालिबान का पाकिस्तान से पुराना नाता रहा है, लेकिन सरकार के गठन से पहले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का पहुंचना कहीं भारत के लिए तो खतरे की घंटी नहीं ना है. तालिबानी सरकार के गठन में पाकिस्तान के दखल की चर्चाएं भी जोरों पर हैं. वहीं, हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तानी खुफिया एजेंस ISI के बीच घनिष्ठता जगजाहिर है.
बता दें कि न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने तालिबान के हवाले से दावा किया था कि काबुल में शुक्रवार को तालिबान अपनी नई सरकार का गठन करेगा, लेकिन देर शाम कुछ वजहों से ऐसा नहीं हो पाया. इसके बाद तालिबान के प्रवक्ता ने शनिवार को नई सरकार के गठन की बात कही, लेकिन आज भी ये टल गया. अब कहा जा रहा है कि 2-3 दिन के अंदर तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बना लेगा. लेकिन इससे पहले पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का काबुल पहुंचना चौंकाने वाला है.
वहीं, तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब और सिराजुद्दीन हक्कानी के बीच सैनिकों और हथियारों के नियंत्रण को लेकर अनबन की खबरें हैं. खुफिया अधिकारियों के मुताबिक न्याय, धार्मिक मामलों और आंतरिक सुरक्षा विभागों को लेकर दोनों में मतभेद है. इन तमाम चुनौतियों के अंबार के बीच तालिबान की राह आसान नहीं दिख रही है.
तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा करने का दावा किया है. न्यूज एजेंसी रायटर्स ने तालिबान के सूत्रों के हवाले से बताया था कि तालिबान ने अब पंजशीर पर भी नियंत्रण हासिल कर लिया. यहां अब तक तालिबान विरोधी गुट का कब्जा था. हालांकि इस दावे को पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खारिज कर दिया है. वहीं, रेसिस्टेंस फोर्स के मुखिया अहमद मसूद ने कहा कि तालिबान पंजशीर को जीत लेगा, उस दिन घाटी में मेरा आखिरी दिन होगा.
Next Story