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जिनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं हैं। वे लोग वहां युद्ध और टकराव से भागना चाहते हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद बड़ी संख्या में अफगान नागरिक देश से बाहर जाने की कोशिशों में जुटे हैं। ऐसे में अफगानिस्तान की सीमा से सटे क्षेत्रों में सक्रिय पाकिस्तानी मानव तस्करों के कारोबार में खासी वृद्धि हुई है। तालिबान के शासन से बचने के लिए हजारों अफगान देश से भाग रहे हैं। वे बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका और यूरोप सहित विभिन्न देशों में शरण मांग रहे हैं। अफगानिस्तान से लगती चमन-स्पिन बोल्डक सीमा के पास एक छोटे से कस्बे से काम कर रहे हमीद गुल ने कहा, तालिबान के काबुल में प्रवेश करने से पहले से ही कारोबार फल-फूल रहा है। हमने पिछले हफ्ते से अब तक सीमा पार से करीब एक हजार लोगों की तस्करी की है।
हालांकि, गुल ने यह नहीं बताया कि वह अफगान नागरिकों को पाकिस्तान में लाने के लिए कितनी रकम लेता है। हालांकि, उसने स्वीकारा सीमावर्ती शहरों में कई अन्य तस्कर सक्रिय हैं। गुल ने कहा, ये लोग इस बात से डर रहे हैं कि तालिबान शासन में क्या होगा? वे किसी भी तरह से अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहते हैं। इसके लिए जो कुछ भी मांगा जाता है, वे भुगतान करने को तैयार हैं।
मानव तस्करी में शामिल गिरोहों से वाकिफ एक सूत्र ने कहा कि ऐसे लोग ज्यादातर अशांत बलूचिस्तान प्रांत के चमन, चाघी और बदानी में सक्रिय हैं। अधिकतर अनौपचारिक शरणार्थी पाकिस्तान में प्रवेश करने के बाद क्वेटा या अन्य पाकिस्तानी शहरों में चले जाते हैं। उनमें से कुछ लोगों के पहले से ही कराची या क्वेटा में काम करने वाले रिश्तेदार हैं, जो उनका समर्थन करते हैं।
क्वेटा से एक साहित्यिक पत्रिका चलाने वाले डॉ. शाह मुहम्मद मारी ने कहा कि तालिबान के सत्ता में आने से पहले से ही अफगान नागरिकों की तस्करी होती रही है। मुझे लगता है कि सिर्फ इस साल करीब 55000 अफगान नागरिक बलूचिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में आए हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं हैं। वे लोग वहां युद्ध और टकराव से भागना चाहते हैं।
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