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पाकिस्‍तान अभी FATF की 'ग्रे लिस्ट' में ही बना रहेगा, अब आन साइट सत्‍यापन के बाद ही राहत संंभव

Renuka Sahu
18 Jun 2022 12:55 AM GMT
Pakistan will remain in FATFs Grey List for now, now relief is possible only after on-site verification
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फाइल फोटो 

आतंकी संगठनों व आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की रोकथाम के लिए गठित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की निगरानी सूची में पाकिस्तान अभी बना रहेगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आतंकी संगठनों व आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की रोकथाम के लिए गठित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में पाकिस्तान अभी बना रहेगा। आतंकी फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों में उठाए गए कदमों की एफएटपीएफ के अधिकारी समीक्षा करेंगे और संतुष्ट होने पर इस साल अक्टूबर में उसे ग्रे लिस्ट से बाहर करने का फैसला भी किया जा सकता है।

अक्टूबर में अंतिम निर्णय संभव
पेरिस में एफएटीएफ की समीक्षा बैठक में पाकिस्तान की तरफ से आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाये गये कदमों की तारीफ की गई है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान की तरफ से यह दावा किया गया है कि वह एफएटीएफ की सूची से बाहर हो गया है और अब इस बारे में टास्क फोर्स की तरफ से सिर्फ आधिकारिक तौर पर अक्टूबर में घोषणा होना शेष है।
ठोस कार्रवाई से संबंधी उठाने थे 34 कदम
शुक्रवार देर रात प्रेस कांफ्रेंस में एफएटीएफ की तरफ से बताया गया कि टास्क फोर्स ने यह पाया है कि पाकिस्तान को जो दो कार्य योजना दी गई थी उसे उसने सफलतापूर्क पूरा कर लिया है। इसके तहत पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग रोकने, आतंकरोधी कानून को मजबूत बनाने, प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने संबंधी 34 कदम उठाने थे। पिछले साल सितंबर में हुई एफएटीएफ की बैठक तक पाकिस्तान ने 32 मांगों को पूरा कर लिया था।
आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई चाहता है एफएटीएफ
सिर्फ जैश व लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के आतंकियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाने को लेकर असंतोष जताया गया था। पिछले छह महीने में पाकिस्तान सरकार ने इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया है, हालांकि एफएटीएफ की ताजा रिपोर्ट अब सकारात्मक प्रतीत हो रही है। एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान ने जून 2018 में आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के जो राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई थी उसका पालन किया है।
मौके का दौरा करने के बाद ही मिलेगी राहत
एफएटीएफ के नियम के मुताबिक ग्रे सूची से किसी भी देश को हटाने का फैसला शीर्ष अधिकारियों की टीम की तरफ से भौतिक जांच यानी उक्त देश का दौरा करने के बाद किया जाता है। अगर जांच में अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं तो पाकिस्तान भी ग्रे सूची से बाहर हो सकता है। पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने इसे पाकिस्तान की एक बड़ी कूटनीतिक जीत बताते हुए कहा है कि अब पाकिस्तान की कोशिश रहेगी कि वह कभी भी एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल ना हो।
2018 से निगरानी सूची में है पाकिस्तान
पाकिस्तान जून 2018 के बाद से ही एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना हुआ है। वह इस सूची में सबसे ज्यादा लंबे समय तक बने रहने वाला देश है। लगातार निगरानी सूची में बने रहने से उसकी आर्थिकी पर भारी दबाव था। विदेशी कंपनियां पाकिस्तान में निवेश करने से हिचक रही थीं क्योंकि उन्हें डर था कि भविष्य में एफएटीएफ की प्रतिबंधित सूची में शामिल होने से उनका निवेश प्रभावित होगा।
विदेशी कंपनियां नहीं करना चाहती कारोबार
एफएटीएफ की प्रतिबंधित सूची वाले देशों से कोई भी विदेशी कंपनी कारोबार नहीं करना चाहती क्योंकि उसके साथ कई तरह के जोखिम होते हैं और लागत ज्यादा होती है। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने कहा था कि प्रतिबंधित सूची में शामिल होने पर उनके देश पर 10 अरब डालर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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