विश्व
अफगानिस्तान पर एनएसए स्तरीय सम्मेलन में भाग नहीं लेगा पाकिस्तान, भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
Renuka Sahu
6 Nov 2021 2:50 AM GMT
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फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 10 नवंबर को होने वाले अफगानिस्तान सम्मेलन में पाकिस्तान के शामिल न होने पर भारत ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान का अफगान सकंट वार्ता में शामिल न होने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं है. इस सम्मेलन में हिस्सा न लेकर पाकिस्तान, अफगान के हालात पर अपनी मानसिकता को दुनिया के सामने जाहिर कर दी है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि भारत के निमंत्रण पर सभी देशों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. रूस, ईरान समेत लगभग सभी मध्य एशियाई देशों ने पहले ही एनएसए-स्तरीय बैठक में अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है.
सूत्रों का कहना है कि अफगान संकट वार्ता पर हिस्सा लेने के लिए भारत ने चीन को भी निमंत्रण भेजा है और इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया का इंतजार है. बता दें कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अफगानिस्तान में समग्र सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करने और तालिबान की सत्ता काबिज होने के बाद स्थिति पर कैसे नियंत्रण पाया जा सकता है उस पर सामूहिक नजरिये को मजबूत करने के लिए वार्ता की मेजबानी की पहल कर रहे हैं. इसी क्रम में डोभाल की अध्यक्षता में अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के एनएसए की यह बैठक 10 नवंबर को होनी है. यह भारत की अध्यक्षता में होने वाली इस तरह की पहली बैठक है, जिसमें अफगानिस्तान के सभी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों के एनएसए हिस्सा लेंगे. इस तरह की बैठक की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी. पहली दोनों बैठकें ईरान में हुई थीं. पिछले वर्ष कोरोना महामारी की वजह से तीसरी बैठक नहीं हो पाई, जो नई दिल्ली में होनी थी.
पाकिस्तान नहीं होगा बैठक में शामिल
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ ने कहा कि वह अफगानिस्तान पर 10 नवंबर को होने वाले सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा नहीं करेंगे. साथ ही, उन्होंने अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने वाले देश के रूप में भारत की भूमिका खारिज कर दी. युसूफ ने संवाददाताओं से कहा कि वह अफगानिस्तान पर 10 नवंबर को (भारत में) होने वाले सम्मेलन में शरीक होने के लिए भारत की यात्रा नहीं करेंगे.
सूत्रों का कहना है कि जिस तरह अन्य देशों ने भारत के आग्रह पर बैठक में हिस्सा लेने पर सहमति जताई है उससे साफ है कि वे अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए भारत की भूमिका को अहम मानते हैं. ये सभी देश अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात से चिंतित हैं और चाहते हैं कि वहां स्थायी शांति की राह निकले.
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