पाक में सबसे भयानक रिज़ल्ट वाले तख्ता पलट को अंजाम जनरल मो। जिया उल अधिकार ने दिया था। आज ही के दिन यानी की 12 अगस्त को मो। जिया उल अधिकार का जन्म हुआ था। उन्हें पाक के सबसे बड़े विलेन के तौर पर भी जाना जाता है। उन्हीं के नेतृत्व में पाक सेना ने पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो से सत्ता छीन ली थी।
वैसे तो पाक में कई बार सेना ने तख्तापलट कर राष्ट्र पर कब्जा जमाया है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे पाक का सबसे बड़ा विलेन माना जाता है। इसी आदमी के कारण पाक के सबसे शक्तिशाली नेता को पीएम के पद से हाथ धोना पड़ा था। बता दें कि हम जनरल मोहम्मद जिया उल अधिकार के बारे में बात कर रहे हैं। आज ही के दिन यानी की 12 अगस्त को मोहम्मद जिया उल अधिकार का जन्म हुआ था। जिया के नेतृत्व में पाक सेना ने पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो से सत्ता छीन ली थी। बोला जाता था कि किसी दौर में भुट्टो और जिया का रिश्ता खासमखास हुआ करता था। लेकिन समय के साथ ही दोनों के संबंध में खटास आ गई थी। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर मोहम्मद जिया उल अधिकार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
जिया उल अधिकार का जन्म और शिक्षा दोनों ही हिंदुस्तान से पूरी हुई थी। पंजाब के जालंधर में 12 अगस्त 1924 को मोहम्मद जिया उल अधिकार का जन्म हुआ था। वहीं उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। लेकिन राष्ट्र के बटवारे के बाद वह परिवार सहित पाक चले गए थे। जिया ने हिंदुस्तान के विरुद्ध दो जंग भी लड़ी थी।
पाकिस्तान में तख्ता पलट
पाकिस्तान में अब तक सबसे भयानक रिज़ल्ट वाले तख्ता पलट को अंजाम जिया उल अधिकार ने दिया था। उन्होंने बड़ी चतुराई से तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा जमाया था। जिया उल अधिकार ने स्वयं को ताज पहनाने वाले पीएम जुल्फिकार भुट्टो को सजा-ए-मौत दी थी। जिसके बाद जनरल जिया उल अधिकार ने पाक में लंबे समय तक शासन किया था। पाक में तख्ता पलट होने से पहले राष्ट्र को सियासी अशांति और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। वहीं पीएम भुट्टो की गवर्नमेंट सियासी दमन, करप्शन और अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के आरोपों से घिरी हुई थी।
पाकिस्तान नेशनल अलायंस सहित विपक्षी दल निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे थे। राष्ट्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन प्रारम्भ हो गया था। 70 के दशक में पाक सियासी उथल-पुथल और अशांति को झेल रहा था। तख्तापलट किए जाने के बाद जिया उल अधिकार ने 90 दिनों के अंदर निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से चुनाव कराए जाने का वादा किया था। लेकिन चुनाव का आयोजन वर्ष 1985 के बाद से आम चुनाव तक नहीं हुए। वहीं जिया ने करीब 11 वर्षों तक तानाशाह बन सत्ता चलाई थी।
इस दौरान पाक में कई परिवर्तन देखे गए थे। जिया उल अधिकार के द्वारा तख्ता पलट किए जाने के बाद पाक में इस्लामीकरण बढ़ता चला गया। जहां पूरी दुनिया आगे की ओर बढ़ रहा था। तो वहीं पाक उल्टे पैर पीछे की तरफ बढ़ रहा था। जिया ने इस्लाम के जरिए राष्ट्र को चलाने की प्रयास सालों-साल पीछे लेकर चली गई। इसी कारण से जिया उल अधिकार को पाक का सबसे बड़ा विलेन बोला गया है। तरक्की की स्थान पर जिया उल अधिकार ने पाक को आतंकवाद की तरफ ढकेलना प्रारम्भ कर दिया। जिसके कारण पाक बदहाली के मोड़ तक पहुंच गया। पाक को बदहाली की स्थिति तक पहुंचाने के पीछे उसकी नीतियां उत्तरदायी थीं।
ऐसे किया था तख्ता पलट
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 1977 में भुट्टो गवर्नमेंट पर आम चुनावों में गड़बड़ी का इल्जाम लगा था। जिसके कारण पूरे राष्ट्र में भुट्टो गवर्नमेंट का विरोध हो रहा था। वहीं जिया उल अधिकार ने बोला था कि राष्ट्र तानाशाही में डूबता जा रहा है। इसलिए जिया ने मार्शल लॉ घोषित कर दिया था और संविधान को निलंबित कर दिया। साथ ही निर्वाचित विधानसभाओं को भंग कर दिया गया था। जिसके बाद सियासी प्रतिद्वंदी की कथित मर्डर के इल्जाम में भुट्टो को अरैस्ट कर लिया गया था। इस दौरान भुट्टो पर केस भी चलाया गया। इस मुकदमें में भुट्टो गवर्नमेंट की कमियां और मुनासिब प्रक्रिया की कमी की निंदा की गई।
वहीं 18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की जीवन का सबसे बड़ा निर्णय सुनाया गया था। जिसमें लाहौर उच्च न्यायालय ने जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई थी। भुट्टो ने अपने जीवन का अंतिम समय रावलपिंडी में गुजारा था। हालांकि उन्होंने फांसी के निर्णय पर पाक की उच्चतम न्यायालय में भी अपील की थी। लेकिन न्यायालय ने भुट्टो की अपील को अस्वीकार कर दिया था। जिसके बाद 3 अप्रैल 1979 में जुल्फिकार भुट्टो को रावलपिंडी में फांसी पर लटका दिया गया था।