अशांत पाकिस्तान (Pakistan) से भारत (India) की शांति देखी नहीं जा रही है, इसलिए वो फिर से साजिश रचने में जुट गया है. एक अमेरिकी रिपोर्ट (US Report) में बताया गया है कि पाकिस्तान ने भारत में नफरत फैलाने, सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने और चरमपंथ को बढ़ावा देने के लिए अपनी पिछली रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. बता दें कि पाकिस्तान शांति भंग करने के लिए भारत के खिलाफ जिहादी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है और अब एक बार फिर वो अपनी पुरानी रणनीति पर अमल करते हुए नापाक मंसूबों को अंजाम देने में जुट गया है.
भारत के साथ US को भी खतरा
अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट (Hudson Institute) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान (Pakistan) के सुरक्षा तंत्र ने दशकों से लक्षित जिहादी और खालिस्तानी समूहों का समर्थन करना शुरू कर दिया है. इस गतिविधि का फिर से शुरू होना भारत के साथ-साथ अमेरिकी सुरक्षा तंत्र के लिए भी चिंता का विषय है. गौरतलब है कि जर्मनी में हालिया गिरफ्तारी भारत में चरमपंथ फैलाने के लिए इस्लामाबाद के समर्थन को दर्शाती है. पिछले साल दिसंबर में जसविंदर सिंह मुल्तानी को लुधियाना की अदालत में कथित रूप से विस्फोट करने के आरोप में जर्मनी से गिरफ्तार किया गया था.
SFJ के जरिए रच रहा साजिश
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के अधिकारियों ने हमले के लिए यूरोप में स्थित सिख अलगाववादियों को जिम्मेदार ठहराया था और आरोप लगाया था कि मुल्तानी हमले का मास्टरमाइंड था. अधिकारियों का मानना था कि मुल्तानी के पाकिस्तान से संबंध हैं और वह सीमा पार से पंजाब में हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी में शामिल रहा है. हडसन इंस्टीट्यूट के अनुसार, जसविंदर सिंह मुल्तानी कथित तौर पर सिख फार जस्टिस मूवमेंट (SFJ) का एक प्रमुख सदस्य है. एसएफजे के सार्वजनिक चेहरे, गुरपतवंत सिंह पन्नून ने मुल्तानी के साथ घनिष्ठ संबंध का खुलासा करते हुए, इस तथ्य की पुष्टि की है.
Indo-US रिश्ते खराब करने की मंशा
सालों से सिख फार जस्टिस पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, रूस और चीन के राष्ट्रपतियों को सार्वजनिक पत्र लिखकर भारत के खिलाफ अपना समर्थन मांग रहा है. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि खालिस्तान का मुद्दा भारत के लिए पूरी तरह से आंतरिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन अमेरिका के भीतर खालिस्तान से संबंधित भारत विरोधी सक्रियता में हालिया वृद्धि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और भारत के संबंध के लिए खतरा है. इसीलिए, चीन का महत्वपूर्ण सहयोगी माने जाने वाला पाकिस्तान इसमें अपना स्वार्थ देश रहा है जिसका उद्देश्य भारत-अमेरिका सहयोग को कमजोर करना है.