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पाकिस्तान आईएमएफ के साथ महत्वपूर्ण वार्ता का वर्चुअल दौर फिर से शुरू करेगा

Rani Sahu
14 Feb 2023 1:12 PM GMT
पाकिस्तान आईएमएफ के साथ महत्वपूर्ण वार्ता का वर्चुअल दौर फिर से शुरू करेगा
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इस्लामाबाद, (आईएएनएस)| पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) मंगलवार को समझौते की शर्तो और महत्वपूर्ण फंडिंग बेलआउट कार्यक्रम की मंजूरी और उसके तत्काल कार्यान्वयन पर वर्चुअल तौर पर बातचीत फिर से शुरू करेंगे, जो पाकिस्तान के डूबते वित्तीय जहाज को कायम रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
यह घटनाक्रम आईएमएफ की मेहमान टीम की वित्त मंत्री इशाक डार के साथ वार्ता विफल रहने के बाद आया है। आईएमएफ की टीम कम से कम दस दिनों तक पाकिस्तान में रही और पिछले हफ्ते इस्लामाबाद से रवाना हुई थी।
आईएमएफ ने पाकिस्तान से सुधारों की सख्त मांग की है और अपने रुख पर कोई लचीलापन दिखाने से इनकार कर दिया है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान आईएमएफ को उस वित्तीय खिंचाव पर पुनर्विचार करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है, जिससे देश गुजर रहा है। इसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति काफी बढ़ चुकी है, साथ ही जलवायु परिवर्तन आपदा यानी बाढ़ के देश का कम से कम एक तिहाई हिस्सा डूब गया, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को प्रमुख वित्तीय और संरचनात्मक नुकसान पहुंचा है।
लेकिन पाकिस्तान और आईएमएफ के दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडलों के बीच अनिर्णायक बातचीत के बावजूद दोनों पक्षों ने बातचीत की प्रक्रिया को वर्चुअली जारी रखने पर सहमति जताई है, जो शाम को फिर से शुरू होगी।
वित्त सचिव हमीद याकूब शेख ने कहा, "बातचीत की अवधि की पुष्टि नहीं की जा सकती, लेकिन हम इसे जल्द से जल्द पूरा करने का इरादा रखते हैं।"
शुरू से ही वार्ता का मुख्य फोकस पाकिस्तान की विस्तारित अनुदान सुविधा (ईएफएफ) के लिए आईएमएफ के 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम के तहत एक सुधार एजेंडे पर एक समझौते तक पहुंचने पर रहा है।
पाकिस्तान ने 2019 के दौरान आईएमएफ के साथ सौदे में प्रवेश किया था, जब इमरान खान देश के प्रधानमंत्री थे। हालांकि, पाकिस्तान आईएमएफ सौदे की सहमत शर्तो और सुधारों को पूरा करने में विफल रहा।
इस समय आईएमएफ के कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा उसके अनुमोदन के लिए लंबित है। अनुमोदन के बाद यह 1.1 अरब डॉलर की पहली किस्त जारी करेगा।
इन दिनों पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग गिर रही है और इसके अंतर्राष्ट्रीय बॉन्ड फिसल रहे हैं, और देश का विदेशी भंडार 2.5 अरब डॉलर से नीचे गिर रहा है। देश को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में न केवल अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए, बल्कि अन्य देशों से 30 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज और आईएमएफ द्वारा किस्त जारी किए जाने की सख्त जरूरत है।
देश के वित्तीय बाजारों ने इस खबर पर आक्रामक प्रतिक्रिया दी है कि आईएमएफ के साथ समझौता होना अभी बाकी है। डॉलर-डिनोमिनेटेड 2025 बॉन्ड में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, क्योंकि यह डॉलर में लगभग 2 सेंट गिरकर 48.1 सेंट पर व्यापार किया।
पाकिस्तान का मौजूदा विदेशी भंडार 2.9 अरब डॉलर है, जो तीन सप्ताह के आयात को भी कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्रित्व काल में मौजूदा सत्ताधारी सरकार को आईएमएफ की कठोर मांगों को पूरा करने में वास्तव में मुश्किल हो रही है। सत्तारूढ़ नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को दोषी ठहराता है, जिन्हें उन्होंने 2019 के दौरान आईएमएफ के साथ एक कठिन समझौते में आने और बाद में इसकी शर्तो का उल्लंघन करने के लिए संसद में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से बेदखल कर दिया था।
पाकिस्तान के गृह मंत्री राना सनाउल्लाह ने कहा, "आईएमएफ समझौता इमरान खान द्वारा किया गया था। उन्होंने आईएमएफ की सभी कठिन शर्तो पर सहमति जताई थी, लेकिन एक का भी पालन नहीं किया। और अब, कई बार समझौते का उल्लंघन करने के बाद आईएमएफ ने हमारी बात सुनने और हम पर भरोसा करने से इनकार कर दिया है।"
पाकिस्तान को आईएमएफ से समझौते की सख्त जरूरत है। इसके पास आईएमएफ द्वारा निर्धारित शर्त से सहमत होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।
विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा सरकार को कड़े फैसले लेकर अपनी राजनीतिक हैसियत बचानी होगी। हालांकि इसका खामियाजा आम जनता को महंगाई के रूप में भुगतना पड़ेगा। इस तथ्य को देखते हुए कि 2023 पाकिस्तान के लिए एक चुनावी वर्ष है और इस तरह के फैसले लेने से न केवल सत्ता में वापस आने की उम्मीद लगाए सत्तारूढ़ सरकार को गंभीर नुकसान हो सकता है और उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी इमरान खान को लाभ होगा, क्योंकि वह अपने सरकार विरोधी बयान लगातार आगे बढ़ाते रहे हैं।
--आईएएनएस
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