जिनेवा में 47 सदस्यी संयुक्त देश मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआर) ने पाक और फलस्तीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव को बुधवार को 12 के मुकाबले 28 वोट से मंजूर कर लिया. सात सदस्य मतदान में अनुपस्थित रहे.
संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा. संयुक्त देश की शीर्ष मानवाधिकार संस्था ने यूरोप में कुरान जलाने की घटनाओं के मद्देनजर धार्मिक घृणा को रोकने के लिए राष्ट्रों से और अधिक कोशिश करने का आह्वान करने वाले एक प्रस्ताव को बुधवार को स्वीकृति दे दी, जिसका हिंदुस्तान ने समर्थन किया. पश्चिमी राष्ट्र इस पर विरोध जता रहे थे और उन्हें संभावना थी कि सरकारों के कड़े कदम अभिव्यक्ति की आजादी को अवरुद्ध कर सकते हैं.
जिनेवा में 47 सदस्यी संयुक्त देश मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआर) ने पाक और फलस्तीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव को बुधवार को 12 के मुकाबले 28 वोट से मंजूर कर लिया. सात सदस्य मतदान में अनुपस्थित रहे. हिंदुस्तान ने उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जो “पवित्र कुरान के अपमान के हालिया सार्वजनिक और पूर्व-निर्धारित कृत्यों की निंदा करता है और दृढ़ता से खारिज करता है. साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून से उत्पन्न राष्ट्रों के दायित्वों के अनुरूप धार्मिक घृणा के इन कृत्यों के अपराधियों को उत्तरदायी ठहराने की जरूरत को रेखांकित करता है.”
प्रस्ताव पारित होते ही मानवाधिकार परिषद के सदन में तालियां बजने लगीं. अफ्रीका के कई विकासशील राष्ट्रों के साथ-साथ चीन तथा पश्चिम एशियाई राष्ट्रों ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है. इनमें बांग्लादेश, क्यूबा, मलेशिया, मालदीव, कतर, यूक्रेन और संयुक्त अरब अमीरात हैं. प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले राष्ट्रों में बेल्जियम, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका हैं.
यूरोप के कुछ हिस्सों में कुरान जलाये जाने की हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह प्रस्ताव आया है. इस प्रस्ताव में राष्ट्रों से भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को उकसाने वाले धार्मिक घृणा के कृत्यों और उसकी हिमायत को रोकने तथा अभियोजन के लिए कदम उठाने का आह्वान किया गया है. पाक के राजदूत खलील हाशमी ने मतदान के बाद इस बात पर जोर दिया कि इस प्रस्ताव में बोलने की आजादी के अधिकार को अवरुद्ध करने की कोई बात नहीं है बल्कि यह अभिव्यक्ति की आजादी और विशेष जिम्मेदारियों के बीच विवेकपूर्ण संतुलन की प्रयास करता है.