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आतंकवादियों का सबसे महफूज ठिकाने वाले पाकिस्तान को आई भारत की याद, लेकिन...
jantaserishta.com
1 Jun 2022 7:26 AM GMT
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नई दिल्ली: आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान मदद की आस में है. आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब, यूएई और चीन से भी मदद नहीं मिल रही है. इन देशों ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से समझौते के बिना वो भी कर्ज नहीं देंगे. इन परिस्थितियों में पाकिस्तान को भारत में संभावनाएं दिख रही हैं.
अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि वह भारत सहित अन्य देशों के साथ साझेदारी करना चाहता है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना है कि वह क्षेत्र में भारत सहित अन्य देशों के साथ भू-आर्थिक रणनीति के लिए साझेदारी करना चाहते हैं.
उन्होंने यह बयान तुर्की के अपने तीन दिवसीय दौरे पर जाने से एक दिन पहले दिया. वह मंगलवार को तुर्की पहुंचे हैं.
शहबाज का कहना है कि जियो-इकोनॉमिक के बजाय जियो-स्ट्रैटेजी को तरजीह देते हुए पाकिस्तान कनेक्टिविटी के आधार पर पार्टनरशिप करना चाहता है.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान और भारत को आपसी व्यापार से बहुत फायदा होगा. हम उन आर्थिक फायदों से वाकिफ हैं, जो भारत के साथ व्यापार करने से हो सकते हैं.
शहबाज शरीफ इससे पहले भी भारत के साथ व्यापार का राग अलाप चुके हैं. उन्होंने इस साल अप्रैल महीने में सत्ता संभालने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की इच्छा जताई थी.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का प्रधानमंत्री चुने जाने पर शरीफ को बधाई भेजी थी. इसके जवाब में शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान, भारत के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगी संबंध बनाना चाहता है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की शपथ लेने के बाद संसद को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा था, हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन कश्मीर विवाद का हल निकाले जाने तक यह दोनों देशों के बीच शांति संभव नहीं है.
पाकिस्तान बहुत गंभीर आर्थिक संकट में जकड़ा हुआ है. वह दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है. देश में पेट्रोल, डीजल के बाद अब बिजली की दरों में इजाफा होने जा रहा है. महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से गिर रहा है.
मौजूदा सरकार देश की इस हालत का ठीकरा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर फोड़ रही है. सत्ता परिवर्तन के बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं बल्कि और ज्यादा बिगड़ गए हैं.
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