x
शीर्ष अधिकारियों की टीम की तरफ से भौतिक जांच यानी उक्त देश का दौरा करने के बाद किया जाता है। अगर जांच में अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं तो पाकिस्ता
फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की समीक्षा बैठक को पाकिस्तान ने तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। इस बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान की तारीफ जरूर की है, लेकिन उसे ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं किया है। अलबत्ता पाकिस्तान ने देश और दुनिया को यह संदेश दिया है कि वह ग्रे लिस्ट से बाहर हो गया है। आखिर इसके पीछे का क्या खेल है? पाकिस्तान की सरकार ऐसा क्यों कह रही है? क्या सच में पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आ गया है? अगर नहीं तो पाकिस्तान इस प्रकार का संदेश क्यों दे रहा है? आइए जानते हैं इन सारे मामलों में विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि दरअसल, पाकिस्तान सरकार यह जानती है कि एफएटीएफ ने उसे ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं किया है, लेकिन शहबाज हुकूमत एफएटीएफ की तारीफ को भी अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में दर्ज कराना चाहती है। इसका असर दुनिया में भले ही न हो लेकन पाकिस्तान के आंतरिक राजनीति में इसका प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने नई सरकार को कूटनीतिक मोर्चे पर विफल बताया है। वह नई सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते रहे हैं। ऐसे में शहबाज सरकार एफएटीएफ की इस बैठक को पाकिस्तान के पक्ष में दिखाने में जुटी है।
2- प्रो पंत का कहना है कि पाकिस्तान की नई हुकूमत के लिए यह बड़ी कूटनीतिक पराजय है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की शहबाज सरकार को यह उम्मीद रही होगी कि इस बार उनके देश का नाम ग्रे लिस्ट से निकल जाएगा। इस बाबत पाक की नई सरकार ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी प्रयास किए। प्रो पंत ने कहा कि पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की विदेशी यात्राओं को इस कड़ी से जोड़कर देखा जाता है। यह कयास लगाए जा रहे थे कि चीन, तुर्की और मलेशिया की मदद से पाक ग्रे लिस्ट से बाहर निकल जाएगा।
3- प्रो पंत ने कहा कि बिलावल की अमेरिकी यात्रा को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि, अमेरिका से यात्रा के बाद पाक विदेश मंत्री ने कहा था कि वह यूक्रेन जंग में तटस्थता की नीति का अनुसरण करेगा। बिलावल के इस बयान से पाकिस्तान और अमेरिका के निकट आने के प्रयास को धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को चीन और रूस की निकटता कतई पसंद नहीं है। इस समय दक्षिण एशिया में भारत सबसे बड़ा सहयोगी राष्ट्र है। युक्रेन जंग में पाकिस्तान के इस स्टैंड से पश्चिमी देशों में भी नाराजगी है। कुल मिलाकर पाक कूटनीतिक मोर्चे पर विफल रहा। पाकिस्तान अमेरिका को यह समझा पाने में असफल रहा कि यूक्रेन जंग में उसकी नीति राष्ट्र हित में है, जैसा कि भारत ने किया है।
4- प्रो पंत ने कहा कि यह सत्य है कि एफएटीएफ की समीक्षा बैठक में आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की तारीफ हुई है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उसे ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। पाकिस्तान का यह दावा निराधार है। उन्होंने कहा कि एफएटीएफ के अधिकारी एक बार फिर समीक्षा करेंगे और अगर वह पाकिस्तान से संतुष्ट हुए तो इस वर्ष अक्टूबर उसे ग्रे लिस्ट से बाहर करने का फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में ही है। अलबत्ता एफएटीएफ की ओर से यह संकेत दिया गया है कि उसने आतंकी फंडिंग को रोकने में अच्छा प्रयास किया है, लेकिन इसका तात्पर्य यह कतई नहीं है कि उसे ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है।
आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई चाहता है FATF
1- एफएटीएफ की तरफ से बताया गया कि टास्क फोर्स ने यह पाया है कि पाकिस्तान को जो दो कार्य योजना दी गई थी, उसे उसने सफलतापूर्क पूरा कर लिया है। इसके तहत पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग रोकने, आतंकरोधी कानून को मजबूत बनाने, प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने संबंधी 34 कदम उठाने थे। पिछले साल सितंबर में हुई एफएटीएफ की बैठक तक पाकिस्तान ने 32 मांगों को पूरा कर लिया था।
2- सिर्फ जैश व लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के आतंकियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाने को लेकर असंतोष जताया गया था। पिछले छह महीने में पाकिस्तान सरकार ने इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया है, हालांकि एफएटीएफ की ताजा रिपोर्ट अब सकारात्मक प्रतीत हो रही है। एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान ने जून 2018 में आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के जो राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई थी उसका पालन किया है।
3- एफएटीएफ के नियम के मुताबिक ग्रे सूची से किसी भी देश को हटाने का फैसला शीर्ष अधिकारियों की टीम की तरफ से भौतिक जांच यानी उक्त देश का दौरा करने के बाद किया जाता है। अगर जांच में अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं तो पाकिस्ता
Next Story