मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की जांच में विफल रहने के बाद साल 2018 से लगातार FATF की ग्रे सूची की जंजीर में जकड़े पाकिस्तान के लिए राहत की खबर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि पाकिस्तान इस सप्ताह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से बाहर आ सकता है। दरअसल, आतंकी फंडिंग व मनी लान्ड्रिंग मामलों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)की पेरिस में 18 से 21 अक्टूबर तक बैठक होने जा रही है। माना जा रहा है कि इस बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने या न रखने को लेकर अंतिम फैसला होगा। एफएटीएफ के मौजूदा अध्यक्ष सिंगापुर के टी. राजा कुमार 20-21 अक्टूबर को इस बैठक में शामिल होंगे और इसी दौरान पाकिस्तान की किस्मत का फैसला होगा।
साल 2018 से FATF की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान
पाकिस्तान जून 2018 से पेरिस स्थित एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। यह मनी लॉन्ड्रिंग की जांच और टेरर फंडिंग को रोकने में विफल रहा है। इसे अक्टूबर 2019 तक एक्शन प्लान पूरा करने का समय दिया गया था। तब से एफएटीएफ के आदेशों का पालन करने में असफल रहने के चलते ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। एफएटीएफ ने जून में कहा था कि पाकिस्तान निगरानी बढ़ाने वाले देशों की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा। वॉचडॉग ने कहा था कि टेरर फंडिंग सिस्टम का मुकाबला करने में पाकिस्तान के सुधार के कार्यान्वयन को सत्यापित करने के बाद ही इस सूची हटाया जा सकता है।
क्या होता है FATF?
FATF एक ऐसा निकाय है जिसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है। इस निकाय की स्थापना फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में किया गया था।