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POK के बजट में पाकिस्तान ने की भारी कटौती, पैसों के लिए मोहताज हुए लोग
Renuka Sahu
2 Jun 2022 5:44 AM GMT
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फाइल फोटो
पाकिस्तान में नई सरकार तो बन गई, मगर फंड की कमी के कारण शहबाज शरीफ का सरकार चलाना मुश्किल हो रहा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान में नई सरकार तो बन गई, मगर फंड की कमी के कारण शहबाज शरीफ का सरकार चलाना मुश्किल हो रहा है. इस बीच पाकिस्तान की सरकार ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी POK के विकास बजट में 2.5 अरब रुपये की कटौती की है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता और यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के अध्यक्ष शौकत अली कश्मीरी ने ये बात कही.
निर्वासित नेता ने किया ट्वीट
POK से निर्वासित नेता शौकत अली कश्मीरी (Shaukat Ali Kashmiri) ने ट्विटर पर लिखा कि पाकिस्तान सरकार ने विकास बजट में 2.5 और सामान्य बजट में 7 अरब रुपये की कटौती की है. उन्होंने इस स्थिति को खतरनाक करार दिया है. एक अन्य ट्वीट में कश्मीरी ने लिखा कि इससे पहले सरकार ने 2021-22 के लिए कुल 49.9 अरब रुपये के बजट पर सहमति जताई थी. हालांकि, अपडेट के अनुसार, बजट में भारी मात्रा में कटौती की गई है.
एलओसी पैकेज फंड भी फ्रीज
POK सरकार ने अफसोस जताया कि सरकार ने 'लाइन ऑफ कंट्रोल पैकेज फंड' को भी फ्रीज कर दिया है. कश्मीरी ने आगाह किया कि स्थिति खतरनाक है और इसे युद्ध स्तर पर संबोधित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, राजनीतिक नेता दावा करते रहते हैं कि POK में साक्षरता दर पाकिस्तान के किसी भी अन्य प्रांत से अधिक है, लेकिन सच्चाई अलग है.
स्कूलों की स्थिति दयनीय
उन्होंने ट्वीट में कहा कि हमारे पास अभी भी पास-फेल सिस्टम है. POK में संघ परिषद स्तर पर प्राथमिक स्कूलों की दयनीय स्थिति (POK Schools Status) पर चिंता व्यक्त की गई है, जहां छात्रों को बिना वॉशरूम, स्वच्छ पेयजल की सुविधा के खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया जाता है.
शिक्षकों की भारी कमी
UKPNP अध्यक्ष ने कहा कि इस खेदजनक स्थिति के अलावा शिक्षकों की भी भारी कमी है. बता दें कि कश्मीरी का यह ट्वीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) की सरकार द्वारा शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) के नेतृत्व वाली संघीय सरकार पर प्रदान किए गए विकास अनुदान को कम करने का आरोप लगाने के बाद आया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर समीक्षा नहीं की गई तो यह एक गंभीर वित्तीय प्रणाली असंतुलन का कारण बन सकता है.
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